
मीडिया किस प्रकार भाजपा को बदनाम करने का खेल खेलती है हमारी ये पोस्ट पढ़कर आपको पूरा ख़ुलासा हो जाएगा । बता दें कि पिछले दिनों मीडिया ने भाजपा को बदनाम करने के लिए पूर्व भाजपा नेता मनीष शर्मा के नोटों के साथ गिरफ़्तार होने पर उसका नाम भाजपा के साथ जोड़े रखा ये नहीं बताया कि भाजपा इस नेता को निकाल चुकी है । देखें मीडिया का खेल ।




लेकिन मीडिया ने पूरा सच नहीं बताया , मीडिया ने ये बताया कि मनीष शर्मा भाजपा नेता हैं जबकि असली सच ये था कि मनीष शर्मा अब भाजपा नेता नहीं रहे थे उसको इसी साल ही पार्टी ने निकाल दिया था । एक निजी वेबसाइट की ये रिपोर्ट पढ़े ।
पढ़ा आपने कि मनीष शर्मा कोई भाजपा लीडर नहीं थे लेकिन मीडिया ने मोदी विरोध के चलते इसको ख़ूब भुनाया और ये दिखाने की कोशिस करी कि भाजपा वाले ही काले धन को इधर से उधर करने में लगे हैं । हम ये नहीं कहते कि भाजपा में सभी दूध के धुले नेता हैं लेकिन हम इतना ज़रूर कहना चाहते कि देश के बड़े मीडिया वालों को ज़िम्मेवारी के साथ रिपोर्टिंग करनी चाहिए ।
बता दें कि एक निजी Website ने ख़ुलासा किया है कि ये मनीष शर्मा भाजपा को छोड़ने के बाद TMC पार्टी को JOIN कर चुका था यानी कि इस हिसाब से ये ममता बनर्जी की पार्टी का नेता हुआ , लेकिन जाने क्यूँ किसी भी बड़े मीडिया हाउस ने अपनी रिपोर्ट में ये बात नहीं लिखी , लेकिन क्यूँ ? भाजपा से दुश्मनी और ममता बनर्जी से इतना प्रेम क्यूँ ?
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