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"20 अज़ब-गज़ब रोचक तथ्य हिंदी में" Part-ll

||मिक्स सिरीज़|| Part-2




1. छोटे चूजें, छोटे इंसानी बच्चे से ज्यादा चालाक         होते है.
2. शुरूआत में टेनिस खाली हाथों से खेला जाता था.

3. जब माइकल जैक्सन की मौत की खबर मीडिया में     फैली थी उस समय माइकल को ट्विटर पर हर मिनट     5,000 बार मेंशन किया जा रहा था.

4. इजरायल इतना छोटा है कि आप पैदल पूर्व से पश्चिम सिर्फ दो घंटो में जा सकते हो.

5. स्वीडन में, हाई स्कूल के बच्चों को हर महीने $187   दिए जाते है ताकि वो क्लास लगाए.

6. जब हिप्पो दुखी होते हैं तो ये लाल रंग का पसीना छोड़ने लगते हैं.

7. अंटर्कटिका के ग्लेशियरों में जमे हुए कुल बर्फ का 3% भाग पेंगुइनो का पेशाब हैं.

8. यदि आप अपनी नाक को बंद कर ले तो सेब, टमाटर और प्याज़ सभी का स्वाद एक जैसा लगेगा.

9. August 2014, आज तक के इतिहास का सबसे गर्म अगस्त था.

10. पहली अलार्म घड़ी केवल सुबह 4 बजे ही बजती थी.

11. दुनिया का सबसे महंगा म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट एक वायलिन है जिसे 2011 में $15,875,800 (करीब 1 अरब रूपए) में बेचा गया.

12. ताइवान के एक रेस्टोरेंट में ग्राहकों को टॉयलेट सीट के आकार वाले बर्तन में खाना परोसा जाता हैं.

13. अमेरिका के शहर लास वेगास के कैसिनोज में घड़ी नही होती हैं.

14. पूरी दुनिया मे हर रोज़ औसतन 20 बैंक लूटे जाते हैं.

15. शायद आपको जान के हैरानी होगी,धरती पे डायनासोर से पहले कॉकरोच आया था.

16. अलेक्जेंडर,नेपोलियन सहित हिटलर को भी ऐलुरोफोबिया था। यानी इनलोगों को बिल्लियों से डर लगता था.

17. 16वी शताब्दी से पहले गाजर बैंगनी रंग का होता था.

18. औसतन महिलाएं जितना कमाती हैं उस से 10%   ज्यादा खर्चा करती हैं.

19. रूस का क्षेत्रफल प्लूटो ग्रह से भी ज्यादा हैं.

20. हालांकि रूस की जनसंख्या बांग्लादेश से भी कम हैं.

आखिर क्यों करना पड़ा हनुमानजी को अपने ही पुत्र से युद्ध...

आखिर क्यों करना पड़ा हनुमानजी को अपने ही पुत्र से युद्ध...
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# ये तो सब जानते हैं कि हनुमान राम के परम भक्त थे और राम उनके आराध्य. लेकिन वाल्मीकि की रामायण में हनुमान के बारे में किये गये कुछ ज़िक्र ऐसे हैं जो अब तक ज्यादातर लोगों को नहीं पता है. वाल्मीकि-रामायण में वर्णित है कि लंका युद्ध के दौरान विभीषण की सलाह पर राम और लभ्मण की सुरक्षा की कमान स्वयं हनुमान ने अपने हाथों में ले ली थी. लेकिन हनुमान को चकमा देकर मायावी अहिरावण अपनी शक्तियों के बल पर उन्हें उनकी कुटिया से ले जाने में सफल रहा. वह राम और लक्ष्मण को पाताल लोक लेकर चला गया. वहाँ उसने उन दोनों को बंदी बना लिया और उनकी बलि देने की तैयारी करने लगा.
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# इधर हनुमान उनकी रक्षा के लिए अहिरावण के पीछे-पीछे पाताल लोक तक चले आये. पाताल लोक में घुसते ही उनका सामना एक ऐसे प्राणी से हुआ जो दिखने में आधा वानर था और आधा मकड़ा.  उत्सुकतावश हनुमान ने उस विचित्र से दिखने वाले प्राणी से उसके बारे में पूछा. उसने अपना परिचय देते हुए कहा कि वह हनुमान का बेटा है और उसका नाम मकड़ध्वज है.# हनुमान उसके इस जवाब से चकित रह गये. उन्होंने मकड़ध्वज से कहा कि, ‘हनुमान तो मैं ही हूँ. लेकिन तुम मेरे बेटे कैसे हो सकते हो क्योंकि मैं तो जन्म से ही अविवाहित हूँ.’  इस पर मकड़ध्वज ने हनुमान को अपने जन्म की कहानी बताई कि कैसे लंका-दहन के बाद पूँछ में लगी आग को समुद्र के पानी से बुझाते वक्त उसका जन्म हुआ.

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# इस पर हनुमान ने उसकी बातों की सच्चाई जानने के लिए अपने आराध्य का स्मरण किया. तब जाकर उन्हें उसकी बातों की सत्यता पर विश्वास हुआ. तब मकड़ध्वज ने अपने पिता हनुमान से उनका आशीर्वाद माँगा, लेकिन साथ ही उसने कहा कि वह अपने राजा अहिरावण को धोखा नहीं दे सकता इसलिये उन्हें उससे युद्ध करना ही होगा. हनुमान ने अपने पुत्र को आशीर्वाद देते हुए उससे द्वंद-युद्ध किया. इस युद्ध में मकड़ध्वज को परास्त कर हनुमान ने उसे बंदी बना लिया.


# तत्पश्चात वो अपने आराध्य राम और उनके भाई लक्ष्मण को अहिरावण के चंगुल से बचाने निकल पड़े. वहाँ अहिरावण का वध करने के बाद वो सब रावण से युद्ध करने के लिए निकलने लगे तो राम ने मकड़ध्वज को पाताल लोक का राजा बना देने की सलाह हनुमान को दी. अपने आराध्य की सलाह को मानते हुए हनुमान ने अपने पुत्र मकड़ध्वज को पाताल लोक का राजा घोषित कर दिया ! 
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जानिए : आखिर क्यों ? भगवान कृष्ण के लिए कर्ण को मारना हो गया था जरूरी...

जानिए : आखिर क्यों ? भगवान कृष्ण के लिए कर्ण को मारना हो गया था जरूरी...
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# महाभारत का युद्ध धर्म और अधर्म के बीच युद्ध था, ऐसा युद्ध जो परिवार के बीच ही लड़ा जा रहा था। कई यौद्धा था जिन्हें लेकर कई दिलचस्प कहानियां हैं। ऐसा ही एक यौद्धा था कर्ण !
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# युद्ध के दौरान कई बार कृष्ण ने अर्जुन से परंपरागत नियमों को तोड़ने के लिए कहा जिससे धर्म की रक्षा हो सके। कर्ण की हत्या भी महाभारत का एक ऐसा ही हिस्सा है। कर्ण सूर्य के पुत्र थे जिन्हें सूर्य भगवान ने रक्षा के लिए कवच और कुंडल दिए थे !
# कर्ण महाभारत के सबसे ज़्यादा दिलचस्प चरित्र माने जाते हैं। उन्हें सूर्यपुत्र, महारथी कर्ण, दानवीर कर्ण, सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कर्ण, राधेय, वसुषेण जैसे नामोँ से भी जाना जाता है। दरअसल कर्ण को तीन शाप मिले थे !
# पल भर में आगबबूला होने वाले  परशुराम ने शाप दिया कि तुमने मुझसे जो भी विद्या सीखी है वह झूठ बोलकर सीखी है इसलिए जब भी तुम्हें इस विद्या की सबसे ज्यादा आवश्यकता होगी, तभी तुम इसे भूल जाओगे। कोई भी दिव्यास्त्र का उपयोग नहीं कर पाओगे !
# आपको बता दें कि कृष्ण ने इसी शाप का इस्तेमाल कर कर्ण का अर्जुन के हाथों वध करवाया था !
कृष्ण का लक्ष्य धर्म की रक्षा था -
# भगवद गीता में यह स्पष्ट रूप से भगवान कृष्ण ने कहा है कि लक्ष्य महत्वपूर्ण है ना कि वह पहुचने का रास्ता। महाभारत में भगवान कृष्ण का पहला लक्ष्य धर्म की रक्षा करना और अधर्म का नाश करना था !
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# धर्म की रक्षा के लिए कृष्ण नियमों को तोड़ने से भी पीछे नहीं हटे। कर्ण की हत्या इसका सबसे बड़ा उद्धरण हैं। युद्ध के दौरान कर्ण निहत्थे थे तब कृष्ण ने अर्जुन से कर्ण को मारने के लिए कहा था !
# महाभारत का युद्ध कोई आम युद्ध नहीं था क्योंकि यह युद्ध परिवार वालों के बीच था। जिससे किसी एक को तो मरना ही था। इसलिए धर्म की रक्षा करने के लिए कृष्ण ने निःशस्त्र कर्ण को मारने का फैसला किया था !
कर्ण था सबसे बड़ी बाधा -
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# कर्ण को सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माना जाता है जो अर्जुन को मार सकता था इसलिए कर्ण को किसी भी तरह मारना जरुरी था। कर्ण मौत के बाद आगे चल कर पांडवों की महाभारत में जीत हुई थी !
क्यो कर्ण को आज भी इज़्ज़त की नज़र से देखा जाता है -
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# कोई भी कृष्ण के कर्ण को मारने का सही जवाब नहीं दे सकता लेकिन जो अधर्म के रास्ते पर चलेगा उसका सर्वनाश निश्चित है। कर्ण ग़लत नहीं था सिर्फ उन्होंने गलत लोगों का साथ दिया था यही वजह है कि उनकी मौत के बाद भी दुनिया भर में उनको इज्जत से याद किया जाता है !

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भगवान श्री कृष्ण से पहले इसलिए लिया जाता है राधा रानी का नाम...

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# भगवान श्री कृष्ण के नाम से पहले हमेशा भगवती राधा का नाम लिया जाता है। कहते हैं कि जो व्यक्ति राधा का नाम नहीं लेता है सिर्फ कृष्ण-कृष्ण रटता रहता है वह उसी प्रकार अपना समय नष्ट करता है जैसे कोई रेत पर बैठकर मछली पकड़ने का प्रयास करता है !

# श्रीमद् देवीभाग्वत् नामक ग्रंथ में उल्लेख मिलता है कि जो भक्त राधा का नाम लेता है भगवान श्री कृष्ण सिर्फ उसी की पुकार सुनते हैं। इसलिए कृष्ण को पुकारना है तो राधा को पहले बुलाओ। जहां श्री भगवती राधा होंगी वहां कृष्ण खुद ही चले आएंगे !
# पुराणों के अनुसार भगवान कृष्ण स्वयं कहते हैं कि राधा उनकी आत्मा है। वह राधा में और राधा उनमें बसती है। कृष्ण को पसंद है कि लोग भले ही उनका नाम नहीं लें लेकिन राधा का नाम जपते रहें !
# इस नाम को सुनकर भगवान श्री कृष्ण अति प्रसन्न हो जाते हैं। इसका उल्लेख श्री कृष्ण जी ने नारद से किया है। इस संदर्भ में कथा है कि व्यास मुनि के पुत्र शुकदेव जी तोता बनकर राधा के महल में रहने लगे !

# शुकदेव जी हमेशा राधा-राधा रटा करते थे। एक दिन राधा ने शुकदेव जी से कहा कि अब से तुम सिर्फ कृष्ण-कृष्ण नाम जपा करो। शुकदेव जी ऐसा ही करने लगे। इन्हें देखकर दूसरे तोता भी कृष्ण-कृष्ण बोलने लगे !

# राधा की सखी सहेलियों पर भी कृष्ण नाम का असर होने लगा। पूरा नगर कृष्णमय हो गया, कोई राधा का नाम नहीं लेता था। एक दिन कृष्ण उदास भाव से राधा से मिलने जा रहे थे। राधा कृष्ण की प्रतीक्षा कर रही थी !
# तभी नारद जी बीच आ गए। कृष्ण के उदास चेहरे को देखकर नारद जी ने पूछा कि प्रभु आप उदास क्यों है। कृष्ण कहने लगे कि राधा ने सभी को कृष्ण नाम रटना सिखा दिया है। कोई राधा नहीं कहता, जबकि मुझे राधा नाम सुनकर प्रसन्नता होती है !

# कृष्ण के ऐसे वचन सुनकर राधा की आंखें भर आईं। महल लौटकर राधा ने शुकदेव जी से कहा कि अब से आप राधा-राधा ही जपा कीजिए। उस समय से ही राधा का नाम पहले आता है फिर कृष्ण का !

# राधा कृष्ण की तरह सीता का नाम भी राम से पहले लिया जाता है। असल में राम और कृष्ण दोनों ही एक हैं और राधा एवं सीता भी एक हैं। यह हमेशा नित्य और शाश्वत हैं !

# क्योंकि यही लक्ष्मी और नारायण रूप से संसार का पालन करते हैं। नारायण लक्ष्मी से अगाध प्रेम करते हैं। यह हमेशा अपने हृदय में बसने वाली राधा का नाम सुनना चाहते हैं। इसलिए ही कृष्ण नाम से पहले राधा नाम लिया जाता है !

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बुधवार के दिन एसे करे भगवान गणेश जी को प्रसन्न - मिलेगा मनचाहा वरदान...

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# हिंदू धर्म में सूर्य, विष्णु, शिव, शक्ति व गणपति में भगवान गणेश जी की पूजा सबसे पहले की जाती है. क्योंकि गणेशजी को भौतिक, दैहिक व अध्यात्मिक कामनाओं के सिद्धि के लिए सबसे पहले पूजा जाता है !

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# भगवान गणेश जी की साधना शीघ्र फलदायी होती है. उनको दुर्वा अतिप्रिय है. इसे चढ़ाने से भगवान गणेश तुरंत प्रसन्न होते हैं. उनके 10 नामों का प्रतिदिन जप ही उनके लिए पर्याप्त होता है.


# शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश की विशेष पूजा का दिन बुधवार है. इस दिन अगर आप मन से गणेश जी की पूजा करते है तो गणेश जी से मनचाहा वरदान पा सकते है !

# इस दिन भगवान की पूजा सच्चे मन से करने से मनवांछित फल मिलता है. साथ ही अगर आपकी कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में है तो इस दिन पूजा करने से वह भी शांत हो जाता है !

 पहला उपाय -
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# बुधवार के दिन सुबह स्नान कर गणेशजी के मंदिर जाकर उन्हें दूर्वा की 11 या 21 गांठ अर्पित करें. ऐसा करने से आपको जल्द ही शुभ फल मिलेंगे. दूर्वा गणेशजी को अति प्रिय है क्योंकि दूर्वा में अमृत मौजूद होता है !

# गणपति अथर्वशीर्ष में कहा गया है कि जो भक्त गणेशजी की पूजा दुर्वांकुर से करता है, वह कुबेर के समान हो जाता है. कुबेर के समान होने का मतलब है उसके पास धन-धान्य की कमी नहीं रहती है.


दूसरा उपाय है मोदक का भोग -

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# जो भक्त गणेशजी को मोदक का भोग लगाता है गणपति उनका मंगल करते हैं. शास्त्रों में मोदक की तुलना ब्रह्म से की गई है. मोदक भी अमृत मिश्रित माना गया है. भगवान गणेश को घी काफी पसंद है !

# गणपति अथर्वशीर्ष में घी से गणेश की पूजा का बड़ा महात्म्य बताया गया है. घी से गणेश की पूजा करने वाला भक्त अपनी योग्यता व ज्ञान से संसार में सब कुछ हासिल कर लेता है !



# बुधवार के दिन भगवान गणेशजी  के इस मंत्र का जाप विधि-विधान से करने पर आपको मिल जाएगा सभी कष्टों से निजात -
"त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय !नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम !!
 गणेश जी के 10 नाम -
# इस पूजा को किसी भी शुभ दिन प्रारंभ करना चाहिए. गणेशजी की प्रतिष्ठित प्रतिमा पर यह पूजा संपन्न करें. इक्कीस दुर्वा लेकर नीचे दिए गए नामों द्वारा गणेशजी को गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप व नैवेद्य अर्पण करके एक-एक नाम पर दो-दो दुर्वा चढ़ाना चाहिए !
# यह क्रम प्रतिदिन जारी रखने एवं नियमित समय पर करने से जो आप चाहते हैं. उसकी प्रार्थना गणेशजी से करें. मनोकामना शीघ्र पूर्ण हो जाती है. विघ्ननाशक पर पूजा के दौरान श्रद्धा व विश्वास रखना चाहिए !