
आप सोच रहे होंगे कि अब आख़िर JNU में ऐसा क्या हो गया है ? तो आपको बता दें हैं JNU के देशद्रोही आवारा लोगों ने बर्मा से निकाले गए रोहिंग्या मुसलमानों के लिए पोस्टर लगा दिए हैं कि उनको भारत में रहने दो , उनका सपोर्ट करो और पोस्टरों के नीचे पेन से ये भी लिखा है कि ३१ दिसम्बर तक इन पोस्टरों को ना हटाया जाए । पता नहीं कट्टर ताक़तों के लिए पैरवी करने वाले ये देशद्रोही मानसिकता के लोग ३१ तारीख़ तक क्या नया कुकर्म रचने वाले हैं । देखें वो पोस्टर जो JNU में लगे हैं ।

इन लोगों ने कभी भी पूरी दुनिया में मुस्लिम कट्टारवादियों द्वारा की जा रही हत्यायों के बारे कुछ भी नहीं कहा ना कभी भी अपने ख़ुद के देश में कश्मीर घाटी में हिन्दुओं के GENOCIDE पर इन चिकने और दोगले मानसिकता वाले वामपंथियों से कभी कुछ कहते बन पड़ा , लेकिन फ़िलिस्तीन पर या रोहिंग्या मुस्लिमों पर इनको बड़ी दया आती है । कभी इन नीच लोगों ने बंगाल , बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिन्दुओं के हुए क़त्ले आम पर कुछ भी कहा लेकिन इन कामपंथियों को चिंता है ISIS की , उनके दूरदाँत आतंकियों की और अफ़ज़ल गुरु जैसों की ।
रोहिंग्या मुस्लिमों का क्या इतिहास है ? इनको बर्मा से क्यूँ निकाला गया ? क्यूँ इनके ख़िलाफ़ बर्मा ने जनमानस में इतना रोष उत्त्पन्न हुआ अगर आप वो जानेंगे तो आपके रोंगटे खड़े हो जाएगें । ये लेख अभी अधूरा है और संक्षेप में लिखा गया है। हम इस लेख के कल के भाग में रोहिंग्या मुस्लिमों और बर्मा के इतिहास की पूरी जानकारी से लिखा हुआ एक विस्तृत लेख प्रस्तुत करेंगे जिसको हिंदुत्व के ओजस्वी लेखक सुरेश चिपुलनकर ने लिखा है ।
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