
इस स्वीकारोक्ति में राव ने माना कि कैसे एनडीटीवी ने नीदरलैंड के माध्यम एफडीआई नियमों का उल्लंघ करके जीई समूह से जुड़े फर्म में प्रवेश करके अपने काले धन को वैध बना लिया. नीचे दी गयी तस्वीर में आप देख सकते है कैसे एनडीटीवी ने इस उद्देश्य के लिए विभिन्न संस्थाएं बनाईं.

आयकर विभाग का 54 पृष्ठों का दस्तावेज एनडीटीवी के धोखाधड़ी को उजागर करता है. एनडीटीवी ने भारत के सभी नियमों का उल्लंघन कर नीदरलैंड, केमैन द्वीप, ब्रिटिश वर्जिन द्वीप में सभी कम्पिनयों के माध्यम से धन की अवैध रूटिंग की है. आयकर के 54 पृष्ठों के इस दस्तावेज में 33 पेज राव के स्वीकारोक्ति के है. इन सभी दस्तावेजों को देखते हुए प्रणय रॉय और एनडीटीवी के गिरोह के खिलाफ धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) का मामला दर्ज किया जा सकता है जिसके अंतर्गत तीन से सात साल तक की जेल हो सकती है.

अपने दस्तावेज में राव ने एनडीटीवी के प्रबंध संपादक विक्रम चंद्रा की भूमिका को बताते हुए बताया है कि वो काले धन के लिए लन्दन की एक कंपनी से संपर्क में था. बरखा दत्त और सोनिया सिंह भी इस शैल कंपनी के निदेशक थे, जो की अवैध धन रूटिंग के बाद बंद कर दी गयी. KVL नारायण राव मानते हैं कि कैसे एनडीटीवी ने वित्त मंत्रालय पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान दुनिया भर में खोल कंपनियां खोली और केमैन द्वीप और ब्रिटिश वर्जिन द्वीप के माध्यम से अवैध धन को ठिकाने लगा दिया.

एनडीटीवी के प्रणय रॉय और राधिका रॉय जैसे बड़े पत्रकारों के खिलाफ पीएमएलए के तहत मुकदमा दायर करने के लिए राव की स्वीकारोक्ति ही काफी है अब सवाल ये उठता है कि एनडीटीवी के अधिकारी KVL नारायण राव के कांफेसन के बाद भी सरकार कोई कदम क्यूँ नहीं उठा रही है । सरकार किस बात का इंतजार कर रही है ?
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