
नई दिल्ली। आम लोगों की नजरों में भले ही गधों का कोई मोल न हो लेकिन MP में एक जगह ऐसी भी है जहां न सिर्फ गधों का मेला लगाया जाता है बल्कि उनकी हजारों रुपए चुकाकर खरीदा भी जाता है। दरअसल, ये मेला उज्जैन में देव प्रबोधिनी एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक गधों का मेला लगाया जाता है। इस पांच दिन के मेले में देश भर से गधों के व्यापारी और पालक अपने गधों को लेकर पहुंचते हैं।
इस मेले में गधों को उनकी खासियत के हिसाब से बेचा जाता है। गौर करने की बात ये है कि गधे भी यहां हजारों में बिकते हैं। इन गधों की कीमत आठ हजार से 20 हजार तक हो सकती है। व्यापारियों के मुताबिक गधे की कीमत उनकी उम्र और दांत देखकर तय होती है। दो और चार दांत के गधों की कीमत अधिक होती है। जानकारी के मुताबिक हर साल लगने वाले इस मेले से निगम को भी काफी फायदा होता है। पांच दिन के इस आयोजन से नगर निगम लाखों की कमाई कर लेता है।
काम का है गधा
गधा पालक बाबूलाल ने बताया कि, गधों को भले ही गैर समझदार जानवर समझा जाता हो लेकिन गधों की कई खूबियां होती हैं। पहली खूबी ये इनके चारे की कोई खास चिंता नहीं करनी होती। जो भी चारा डाल दो गधा उसे ही खाकर पेट भर लेता है। दूसरी सबसे बडी खूबी ये कि गधे को एक बार रास्ता बताने के बाद वो बगैर बताए या हांके अपनी जगह पहुंच जाता है। जिस वजह से इसे सबसे ज्यादा धोबी या ईंट और सामा ढुलाई का काम करने वाले कुम्हार जाति के लोग खरीदते और पालन करते हैं।
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