आज हम कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं जो हर पेरेंट्स को लड़कियों के साथ ही लड़को को भी सिखानी चाहिए।
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बच्चों की परवरिश
जब लड़कियां बड़ी होती हैं तो उनके माता-पिता उन्हें कई तरह की बातें बताते हैं। खासकर के जब लड़कियां बड़ी होती हैं तो उन्हें कम बोलने, सिर्फ पढ़ने और खाली समय में किचन का काम करने और एक सीमित दायरे में रहने की सलाह दी जाती है। जबकि लड़कों के साथ ऐसा नहीं है। हर माता-पिता का ये फर्ज होता है कि वो अपने बच्चों को अच्छी परवरिश दें। इसलिए आज हम कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं जो हर पेरेंट्स को लड़कियों के साथ ही लड़को को भी सिखानी चाहिए।
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किचन में खाना बनाना
ये कोई जरूरी नहीं है कि किचन में खाना सिर्फ लड़कियां ही बनाएंगी। लड़के भी ऐसा कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि आजकल के समय में उच्च शिक्षा का प्रभाव है। आजकल के बच्चे दूसरे राज्यों या देशों में जाकर पढ़ना चाहते हैं। इस केस में अगर लड़को को खाना बनाना आएगा तो वो अपने लिए खुद बना सकते हैंं। इसके फायदे ये होंगे कि ना तो उन्हें रोज रोज बाहर का खाना खाकर बीमार पड़ना पड़ेगा और दूसरा मेड को देने वाले उनके पैसे भी बच जाएंगे। इसलिए लड़कियों के साथ ही लड़को को भी खाना बनाना आना चाहिए।
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महिलाओं का सम्मान करना
जिस घर में पुरुष अपनी स्त्री के साथ जैसा व्यवहार करेगा उसके बच्चे वैसा ही सीखेंगे। फिर भी हर माता-पिता को अपने लड़कों को बचपन में ही महिलाओं का सम्मान करना सिखाना चाहिए। उन्हें अपने बच्चों को ये बात बतानी चाहिए कि महिलाओं के साथ हमेशा प्यार और सम्मान के साथ पेश आना चाहिए। ऊंची आवाज या हिंसा से कभी पेश नहीं आना चाहिए। क्योंकि महिलाओं से जुड़ा हर रिश्ता बहुत प्यारा और सरल होता है।
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दया भाव
लगभग हर माता पिता लड़कियों पर बचपन से ही इतना दबाव डाल देते हैं कि वह खुद ही इमोश्नल हो जाती है। जबकि लड़को के साथ ऐसा नहीं है। वह चाहे कुछ भी करें उसके लिए उन्हें डांटना-फटकारना तो दूर उनके हर काम को सराहा जाता है। जबकि ये गलत है। हर माता-पिता को अपने बच्चों में दया भाव की भावना को कायम रखना चाहिए। उन्हें शुरुआती दौर में ही ऐसे संस्कार देने चाहिए कि वह किसी बात को लेकर जल्दी से उत्तेजित ना हो। सब के साथ प्यार से पेश आएं।
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भावनात्मक होना
जब लड़के बचपन में रोेते हैं तो घर का हर सदस्य उसके पास जाकर कहता है 'तुम मर्द हो ये रोना-धोना तुम्हारा काम नहीं है।' रोती तो लड़कियां है। या कोई ये बोलता है 'अरे क्या हुआ! क्यों लड़कियों की तरह रो रहे हो।' यहीं वे कारण हैं जिनसे लड़को में भावनात्मकता पूरी तरह खत्म हो जाती है। भावनात्मक होना कोई शर्मनाक बात नहीं है। बल्कि इससे हम दूसरों का सम्मान करना सीखते हैं और स्वार्थी होने से बचते हैं।
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