loading...

यूपी में बीजेपी की जीत पर राजनीतिक पंडित लगा रहे हैं दांव! जानिए क्या हैं कारण...

Image result for बीजेपी

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में अब बस दो दिन बचे हैं. लेकिन सबका फोकस यूपी के नतीजों को लेकर है. राजनीतिक विश्लेषक, ज्योतिषियों से लेकर अधिकांश लोगों ने बीजेपी को या तो बहुमत का अनुमान जताया है या फिर सबसे बड़ी पार्टी बनने की भविष्यवाणी की है. अगर ऐसा है? तो वे क्या कारण हैं जिसके कारण हर पॉलिटिकल पंडित बीजेपी पर दांव लगा रहा है. हम नजर डालते हैं उन संभावित कारणों पर
  अभी भी बरकरार है मोदी मैजिक
यूपी चुनाव के नतीजों पर भविष्यवाणी करते हुए विशेषज्ञों के पास सबसे बड़ा हथियार अभी भी मोदी मैजिक है. केंद्र में भले ही मोदी सरकार तीन साल पूरे करने के करीब हो लेकिन मोदी पर भरोसा कम होते नहीं दिख रहा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी में मोदी मैजिक चला था और यूपी की 80 में 73 सीटों पर बीजेपी और सहयोगिया का कब्जा हो गया था. बीजेपी इसी मैजिक से सहारे यूपी के रण में है. बिना सीएम फेस के बीजेपी ने मोदी सरकार के काम को लेकर चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाई है. जानकार मान रहे हैं कि मोदी का ये जादू काफी हद तक अभी भी बरकरार है. इसका फायदा बीजेपी को होना तय है. नोटबंदी जैसे बड़े और कड़े फैसले के बाद भी जनता कहीं न कहीं मोदी पर भरोसा कर रही है.
  सपा को हो सकता है विवादों का नुकसान
सपा और कांग्रेस भले ही गठबंधन के सहारे वोटों के गणित का आंकड़ा पेश कर रहे हैं लेकिन अधिकांश एक्सपर्ट उन्हें पहले पायदान पर रखने को लेकर संशय में दिखते हैं. कारण है मुलायम परिवार में घमासान और फिर सपा सरकार के मंत्रियों के एक के बाद एक विवाद में आते जाना. पारिवारिक घमासान से उबरकर अखिलेश ने खुद की छवि पेश तो की लेकिन एंटी इंकमबेंसी फैक्टर का उन्हें सामना नहीं करना पड़ेगा इसमें विश्लेषकों को संदेह है. चुनाव के दौर में मंत्री गायत्री प्रजापति का रेप केस में नाम आना और फिर फरार रहने को लेकर भी अखिलेश सरकार सवालों के घेरे में आई.
  कांग्रेस से अभी दूर नहीं हुई है नाराजगी
तीसरा फैक्टर कांग्रेस को लेकर भी है. जिस कांग्रेस के साथ गठबंधन कर अखिलेश फिर सत्ता में वापसी की आस लगाए बैठे हैं क्या उससे कुछ लाभ मिलेगा. 2014 के आम चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ जनता में गुस्से का फायदा मोदी टीम को मिला. यूपी में सोनिया और राहुल गांधी को छोड़कर कोई भी कांग्रेस उम्मीदवार नहीं जीत पाया. 2012 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस 20-22 सीटों से आगे नहीं बढ़ पाई थी. इस चुनाव में सोनिया गांधी प्रचार में नहीं उतरीं और प्रियंका गांधी ने भी बस एक सभा की. हालांकि, अखिलेश के साथ साझे रोड शो और रैलियां कर राहुल गांधी ने प्रचार को धार दी लेकिन वोटों पर इसका कितना असर होता है ये देखने लायक होगा.
  मायावती खेमे में 2007 जैसे सोशल इंजीनियरिंग की कमी
मायावती को अधिकांश एक्सपर्ट दूसरे नंबर आने का अनुमान जता रहे हैं लेकिन सीटों को लेकर कई एक्सपर्ट संशय में दिख रहे हैं. कारण है इस चुनाव में मायावती के बिना किसी सोशल इजीनियरिंग के उतरना. 2007 के चुनाव में मायावती ने ब्राह्मण और दलित जातियों को गठजोड़ को साधा था और इस समीकरण को लेकर अपने बूते बहुमत हासिल किया था लेकिन इस बात कहानी दोहराई जाए ये मुश्किल दिखता है. ब्राह्मण समुदाय मायावती के साथ नहीं है. 2014 को लोकसभा चुनाव में मोदी मैजिक ने बसपा का सबसे अधिक नुकसान किया था. सपा तो 5 और कांग्रेस 2 सीटें जीतने में कामयाब रही थी लेकिन बसपा का तो खाता तक नहीं खुला था.

loading...
Previous Post
Next Post
loading...
loading...

0 comments: