
एक दिन 1 घंटे के लिए टुंडे कबाब क्या बंद हो गया, जानवरो का मांस नहीं मिला तो मीडिया ने इसे राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया
ये देखिये, मांस खाने के लिए कैसे मर रही है बरखा दत्त, और सिर्फ यही क्या, मीडिया वालो ने तो राष्ट्रीय मुद्दा बनाते हुए डिबेट पे डिबेट भी करवा दिया
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शक्तिमान का दर्द जैसे ये लोग भी महसूस कर रहे थे, इनकी ही टाँगे टूट गयी थी
वही लोग आज इसलिए रोने लगे क्योंकि थोड़े जानवर कम काटे गए, इनका पेट भरने के लिए
और इस चीज को इन लोगों ने राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर, डिबेट भी चलवा दिया
दर्द तो दर्द होता है, चाहे वो घोड़े को हो, गाय को हो या भैंस को
पर घोड़े का दर्द इनको आहात करता है, और गाय और भैंस इन मीडिया वालो को खाने की वस्तु दिखाई पड़ती है
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