सवाल सिर्फ प्रेस्स्या बरखा दत्त का ही नहीं, कोई भी शख्स हो जो आज भारत में सेक्युलरिस्म की बात करता है, चाहे बीजेपी में ही सही, वो सभी इसी मानसिकता के है, वो बेहद दोगले है
शुद्ध रूप से भारत और हिन्दू विरोधी है
भारत का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ, यहाँ संविधान ने भी धर्म के आधार पर लोगों को अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक में बाँट रखा है, धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक मंत्रालय तो है पर बहुसंख्यक मंत्रालय नहीं
फिर भारत में सेकुलरिज्म की बात करना तो अपने आप में दोगलापन है
20 मार्च 2016 प्रेस्स्या बरखा दत्त ने शक्तिमान नामक एक जानवर, एक घोड़े की टांग टूटने पर मातम मनाया, वैसे मीडिया वालो ने 1 महीने तक शक्तिमान नामक घोड़े का मातम मनाया था
बड़ा पशु प्रेम का परिचय दिया था
अब उसी बरखा दत्त को देखिये 23 मार्च 2017 को ये मैडम, बीफ से बने टुंडे कबाब के लिए मर रही है
मांस को संस्कृति और "जॉय" बता रही है
और ये भी कह रही है, की ये बहुत ही दर्दनाक है की, टुंडे कबाब लोगों को नहीं मिल रहा है
मांस नहीं मिल रहा है तो देखिये मैडम कितना छटपटा रही है
और ये वही मैडम है जो खुद को सभ्य पढ़ा लिखा बनती है, पर आप देख सकते है इनके डीएनए में ही दोगलापन भरा हुआ है, ये है हमारे देश की एक सेक्युलर पत्रकार जिन्हें हम और आप इन दिनों प्रेस्स्या भी कहते है
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