
नई दिल्ली(29 अप्रैल): शहीदों के परिवारों को अब आईएएस अधिकारी गोद लेंगे। ये अधिकारी स्वेच्छा से इन परिवारों को गोद लेंगे ताकि उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके और सरकार की तरफ से रुकी हुई वित्तीय सहायता/मुआवजा मिल सके।
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- इस दिशा में संस्थागत व्यवस्था का प्रस्ताव रखते हुए असोसिएशन ऑफ आईएएस ऑफिसर ने कहा कि सभी आईएएस अधिकारी एक शहीद जवान के परिवार को गोद लेंगे और 5-10 साल के बीच उनका सहारा बनेंगे। आईएएस अधिकारी अपने राज्य के शहीद जवानों के परिवार को गोद ले सकते हैं।
- इंडियन सिविल ऐंड ऐडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस(सेंट्रल) असोसिएशन के मानद सेक्रटरी संजय भूसरेड्डी ने कहा, 'अधिकारियों को गोद लिए परिवार को प्रत्यक्ष मदद देने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि उनका साथ देंगे और उनका सहारा बनेंगे ताकि उन्हें सुरक्षा और भरोसा महसूस हो सके कि इस संकट की घड़ी में देश उनके साथ है।'
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- शुरुआत में पिछले 4 बैच के 600-700 युवा अधिकारियों से एक परिवार को गोद लेने को कहा गया है। ये अधिकारी अपने इलाके के शहीद जवान के परिवार से संपर्क करेंगे और उन्हें पेंशन, ग्रैचुटी और अन्य दूसरे काम जैसे बच्चों के स्कूल ऐडमिशन, नौकरी, विशेष ट्रेनिंग जैसे मामलों में मदद करेंगे। अगर जवान का परिवार किसी स्टार्ट-अप में रुचि लेगा तो अधिकारी वित्तीय संस्थान के जरिए मदद दिलाने की कोशिश करेंगे।
- आईएएस अधिकारी भूसरेड्डी ने कहा, 'राज्य सिविल सर्विस के सीनियर अधिकारी भी ऐसे परिवार को स्वेच्छा से गोद ले सकेंगे।' राज्य सरकार से कहा गया है कि वे ऐसे जवानों के परिवार का ब्यौरा असोसिएशन के साथ साझा करेंगे। भूसरेड्डी ने कहा कि इसी तरह की जानकारी रक्षा मंत्रालय, बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी से मांगी जा रही है।
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