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बड़ी खबर : जाधव पर पाकिस्तान ने नहीं माना अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का आदेश तो भारत अपनएगा ये रास्ते...

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# कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में फांसी की सजा सुनाए जाने के मामले में अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (ICJ) अब बस कुछ ही देर में अपना फैसला सुनाएगा. भारत ने जाधव मामले को 8 मई को ICJ में रखा था और तीन दिन पहले कोर्ट ने भारत और पाकिस्तान की दलीलों को सुना था.
# पाकिस्तान का कहना है कि पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी जाधव को जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने का दोषी पाते हुए मौत की सजा सुनाई गई. वहीं भारत ने पाकिस्तान पर वियना समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा कि जाधव को सबूतों के बिना ही दोषी करार दिया गया है. इस मामले में ICJ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुन ली हैं और अब शाम करीब 3.30 बजे इस मामले में ICJ अपना फैसला सुनाएगा .
# ऐसे में सवाल यह है कि ICJ का आदेश अगर पाकिस्तान के खिलाफ जाता है, तो क्या पाकिस्तान इस पर अमल करेगा और अगर पाकिस्तान आदेश पर अमल नहीं करता है तो फिर भारत के पास आगे क्या रास्ता बचेगा?
# हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (ICJ) संयुक्त राष्ट्र के नियमों के तहत स्थापित किया गया है और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का अनुच्छेद 94 में साफ कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों को उन सभी मामलों में ICJ आदेशों का पालन करना होगा, जिसमें वे पक्षकार हैं. यहां भारत और पाकिस्तान दोनों ने ही इस पर सहमति जताई थी.
# इसके साथ ही यहां आपसी विवादों को सुलाने के लिए राजनयिक स्तर पर प्रयासों से जुड़े वियना समझौते का एक 'वैकल्पिक प्रोटोकॉल' भी है और दोनों पड़ोसी मुल्क इस प्रोटोकॉल के भी हिस्सा हैं.
# यहां यह बात गौर करने वाली है कि ICJ का आदेश अंतिम होता और उसके खिलाफ आप कहीं अपील नहीं कर सकते हैं, हालांकि उसके पास अपने फैसलों को लागू करवाने की कोई शक्ति नहीं होती. ऐसे में अगर ICJ के आदेश पर अमल से पाकिस्तान इनकार करता है, तो फिर भारत को यह मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाना होगा. हालांकि अगर सुरक्षा परिषद इस मामले में दखल से इनकार भी कर सकता है और अगर ऐसा होता है, तो भारत के लिए आदेश पर अमल कराने का कोई रास्ता नहीं बचेगा.
# वहीं अगर सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य देश तैयार होते हैं, तो वे पाकिस्तान पर आदेश के पालन के लिए दबाव बना सकते हैं. हालांकि भारत के लिए यह काम खासा मुश्किल साबित होगा, क्योंकि सुरक्षा परिषद में चीन भी स्थायी सदस्य है और खुद को पाकिस्तान का 'सदाबहार दोस्त' बताना वाला चीन पाकिस्तान के खिलाफ प्रस्ताव पर वीटो न करें, इसकी संभावना बेहद कम है.
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