जैसे ही आपने टाइटल देखा आपने सोचा होगा की अरे ये क्या बोल रहा है ये प्राचीन काल में बिना इन्टरनेट चैटिंग कैसे करते थे लोग तो आज में इसी का राज आपके सामने खोलने वाला हूँ की प्राचीन काल के लोग बिना इन्टरनेट कैसे चैटिंग करते थे।
ना इन्टरनेट था और ना ही किसी से बातें करने का कोई साधन पहले के जमाने में लोग मोबाइल, टीवी और अनेक साधनों से वंचित थे पर आज ऐसा नहीं है। हमें घर बैठे पलभर में पता चल जाता है की कौन से देश में किस जगह क्या हुआ है। बहुत से ऐसे सवाल जिनके जबाव हमें आसानी से नहीं मिलते हैं पर इन्टरनेट पर उन्ही के जबाव पल भर में मिल जाते हैं। आज हम बात करते हैं की प्राचीन काल के लोग बिना इन्टरनेट के कैसे चैटिंग करते थे।
कबूतर के साथ अपना सन्देश भेजते थे।

आज किसी कबूतर के साथ चिट्टी तो क्या अगर कबूतर को दाना भी डालें तो वो फर-फर करता उड़ जाता हैं पर पहले ऐसा नहीं होता था कबूतर एक दुसरे के सन्देश लेजाने का काम करते थे।
पालतू जानवर के साथ अपना सन्देश भेजते थे।

प्राचीन काल में लोगो के पास साधन तो थे नहीं की वो दूर जाकर खुद कोई बात कह कर आये या कोई सन्देश देकर आये इसलिए वो अपने पालतू जानवर का साथ लेते थे और उसे अपना संदेश देकर भेजते थे।
इशारों में बातें हो जाती थी।

आज फोन पर भी बात समझ में नहीं आती हैं पर पहले इशारों में भी बातें हो जाती थी।
वृक्षों से बातें करते थे।

शास्त्रों में लिखा हैं की प्राचीन काल में वृक्ष भी बोला करते थे और इंसानों के साथ बातें करते थे।
पेड़ के ऊपर अपना सन्देश खोद देते थे।

प्राचीन काल की ये कला आज भी अनेक जगहों पर मिल जायेगी पहले अपने किसी सन्देश को किसी भी पेड़ पर खोद कर छाप दिया जाता था जैसे आज के जमाने में किसी भी चीज की ऐड डालते हैं।
अलग-अलग रंग के झंडो में छुपे होते थे चैटिंग के राज।

प्राचीन काल में लोग अलग अलग रंग के झंडो में अलग अलग सन्देश छिपाकर रखते थे, जिसमे वो उन झंडों को किसी बड़े पहाड़ पर लगा दिया जाता था और उसके किसी गुप्तचर को उसका सन्देश मिल जाता था।
एक अनोखी शक्ति से होती थी चैटिंग।

प्राचीन काल में एक ऐसी शक्ति विख्यात थी जो आज लुप्त हैं प्राचीन काल के साधू माहत्मा आँखे बंद करके किसी भी मनुष्य से कितनी भी दूर बातें कर सकते थे, आज ये कुछ नाटकों में देखने को मिलती हैं ।
उलटी सीधी लकीरों में छुपे होते थे चैटिंग करने के सीक्रेट

प्राचीन काल में राजा अपने किसी भी गुप्तचर का सन्देश एक ऐसी भाषा में पढ़ते थे जिनका कोई मतलब नहीं होता था और उसमे सिर्फ उलटी सीधी लकीरें होती थी जो राजा या उसके गुप्तचर ही समझ पाते थे ।
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