इस्लाम धर्म में 786 को शुभ अंक माना जाता है। जिस प्रकार हिंदुओं में किसी भी काम को शुरू करने से पहले गणेश पूजा की जाती है, उसी प्रकार इस्लाम में 786 का स्मरण किया जाता है। इस्लाम धर्म में ‘786 का मतलब बिस्मिल्लाह उर रहमान ए रहीम होता है अर्थात् अल्लाह के नाम जो कि बहुत दयालु और रहमदिल है।’ मैं ऐसे अल्लाह के नाम को लेकर अपने काम को शुरू करता हूं।
786 अंक का महत्व और इससे जुड़ी बातें:
1. इस्लाम धर्म को मानने वाले 786 अंक को बिस्मिल्ला का रूप मानते हैं। लोगों का ऐसा विश्वास है कि 786 का स्मरण करने के बाद बाद शुरू किए गए हर काम में बरकत होती है।
2. इस्लाम धर्म मानना है कि जिस काम में 786 शामिल किया जाता है उसके होने में अल्लाह की पूरी मर्जी होती है। उसे काम को होने से कोई नहीं रोक सकता।
3. इस्लाम धर्म में तीन अल्लाह, पैगम्बर और नुमाइंदे की संख्या भी तीन। इसी तरह हिंदू धर्म में तीन महाशक्तियां ब्रह, विष्णु महेश। इसे कुदरत की शक्ति के रूप में एकता का प्रतीक माना गया है।
4. इस्लाम धर्म में ‘बिस्तिल्लाह’, यानी कि अल्लाह के नाम को 786 अंक से जोड़कर देखा जाता है इसलिए मुसलमान इसे पाक अर्थात पवित्र एवं भाग्यशाली मानते हैं।
5. इस्लाम धर्म का कहना है कि ‘बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम’ को अरबी या उर्दू भाषा में लिखा जाए और उन शब्दों को जोड़ा जाए तो योग 786 आता है।
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