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आखिर कब समाप्त होंगी बच्चियों के साथ ये अत्याचार की प्रथाएं...

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शादी के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले 361 माइग्रेंट की उम्र 14 साल से भी कम है। जबकि वहां शादी के लिए कम से कम 18 साल का होना जरूरी है। जर्मन अथॉरिटी के मुताबिक, देश में रह रहे ऐसे फॉरेनर्स की संख्या तकरीबन 1,500 है।

इनमें भी ज्यादातर महिलाएं हैं। दुनिया के तमाम विकासशील देशों में लड़कियों की स्थिति ऐसी ही है। अफगानिस्तान में भी हाल ही में एक 6 साल की बच्ची की शादी 50 साल के मौलवी से करने की खबर सामने आई थी।

70 करोड़ बाल विवाह ...


यूनिसेफ के 2014 के आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन दशकों में ऐसे मामलों में कमी आई है। हालांकि, दुनियाभर में अब भी 70 करोड़ महिलाएं ऐसी हैं, जिनका बाल विवाह हुआ था। इनमें हर तीन में से एक यानी 25 करोड़ ऐसी हैं, जिनकी शादी 15 साल से भी कम उम्र में हुई थी।

 इसका बुरा असर उनकी जिंदगी के साथ-साथ उनके होने वाले बच्चों पर भी दिखता है। इसके साथ ही इनके यौन शोषण का शिकार होने की संभावना भी बाकी महिलाओं के मुकाबले ज्यादा होती है।


सेहत और भविष्य पर असर..


कम उम्र में शादी का दर्द झेलने वाली लड़कियों के भविष्य में मानसिक बीमारियों जैसे अवसाद और तनाव में जाने की संभावना 41 फीसदी बढ़ जाती है। प्रसव के दौरान 20 से ज्यादा उम्र की महिला की तुलना में इन्हें मौत का खतरा पांच गुना ज्यादा होता है।

बावजूद इसके दक्षिणी पूर्वी एशिया, मध्यपूर्व के देशो और कुछ अफ्रीकी देशों में इसका चलन अब भी जारी है। कुछ जगहों पर शादी के लिए बनाए गए नियम कायदों को ताक पर रखकर चोरी छिपे ऐसी शादियों को अंजाम दिया जा रहा है।
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