यह बात सर्वविदित है की उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान्अ राम का जन्म हुआ है और अयोध्या उनकी जन्म भूमि थी है और रहेगी. अब इस बार्रे में आदालत ने भी दोनों पक्षों को आपसी समझदारी से मिल बैठ कर मसला सुलझाने की सलाह दी है . इस पर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि मुस्लिम समाज हमारा प्रस्ताव मान ले नहीं तो 2018 में जब राज्यसभा में बीजेपी का बहुमत होगा तो कानून बनाकर मंदिर बनाया जाएगा.
आज सुबह सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर लिखा सरयू नदी के उस पार मस्जिद बनाने का मेरा प्रस्ताव मुस्लिम समाज को मान लेना चाहिए. अगर मुस्लिम समाज हमारा प्रस्ताव नहीं मानता है तो साल 2018 में राज्यसभा में बहुमत होने के बाद मंदिर बनाने के लिए कानून बनाएंगे.
FollowMuslim should accept my proposal for a masjid across Saryu. Or else in 2018 on getting the RS majority we will enact a law to build temple
राम मंदिर को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे पूर्व कानून मंत्री और बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी- ने कहा की राम जन्म भूमि विवाद पर हाईकोर्ट का फैसला आये 6 साल हो गए लेकिन अबतक कुछ नहीं हुआ. उन्होंने उच्चतम न्यायलय को कहा आप पस पर जल्द से जल्द फैसला करें.
तो वहीँ मुख्य न्यायधीश कैहर ने कहा यह मामला काफी संवेदनशील है. इस तरह के मसलों का हल आपसी सहमति से होना चाहिए. अगर दोनों पक्ष, बातचीत के लिए तैयार हो जाएं तो मध्यस्थता के लिए मैं खुद भी तैयार हूं.
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का बीजेपी और सरकार ने भी स्वागत किया, लेकिन बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने कहा कि उसे इस बात का कतई भरोसा नहीं है कि कोर्ट के बाहर उसे इंसाफ मिल सकेगा लिहाजा इस विवाद में सुप्रीम कोर्ट ही आखिरी फैसला करे. मतलब अयोध्या विवाद फिर से उसी मुकाम पर पहुंच गया जहां 6 साल पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद पहुंचा था.
हालांकि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में विवादित 2.77 एकड़ भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था. कोर्ट के फैसले के मुताबिक राम मूर्ति वाला हिस्सा रामलला विराजमान को, राम चबूतरा और सीता रसोई का हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को और तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का आदेश दिया था.
लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या विवाद का मसला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और उसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को कोर्ट से बाहर सुलझाने का सुझाव दिया लेकिन नतीजा फिर ढ़ाक के तीन पात वाली बात हुई. अब इस मसले पर सुब्रमण्यम स्वामी के तेवर भी तल्ख़ होते दिख रहे हैं.
लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या विवाद का मसला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और उसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को कोर्ट से बाहर सुलझाने का सुझाव दिया लेकिन नतीजा फिर ढ़ाक के तीन पात वाली बात हुई. अब इस मसले पर सुब्रमण्यम स्वामी के तेवर भी तल्ख़ होते दिख रहे हैं.
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