
हम आपको एक तस्वीर दिखाना चाहते है
जिसे आप जरा गौर से देखें

आप देख सकते है, भारत से होती हुई, कई नदियां जिनमे ब्यास, रावी, सतलुज, चेनाब इत्यादि है
वो भारत से होकर पाकिस्तान जा रही है
पूरा पाकिस्तान इन्ही नदियों पर टिका हुआ है, पाकिस्तान के शहर इन्ही नदियों पर टिकी हुई है
नेहरू ने 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता किया था
समझौते का नाम था, "सिंधु जल समझौता", इस समझौते के तहत भारत से होकर पाकिस्तान जितनी भी नदियां जा रही है वो सभी पाकिस्तान की होंगी
भारत उन नदियों का केवल 19% पानी ही इस्तेमाल करेगा, जबकि 81% पानी पाकिस्तान का होगा
और 1960 में नेहरू ने ये कारनामा किया
पानी पाकिस्तान जाता रहा और भारत अपनी ही नदियों पर बाँध नहीं बना सका
पाकिस्तनियों को पानी मिलता रहा वहीँ, पंजाब हरियाणा और राजस्थान के किसान पानी के लिए तरसते रहे
अगर इन नदियों पर बाँध बनाये जाए, इनका रास्ता मोड़ा जाये तो राजस्थान से रेगिस्तान ही ख़त्म हो जाये
और हर तरफ हरियाली हो जाये
पर नेहरू इतना पापी था कि भारत के लोगों को तरसता छोड़ भारत का पानी पाकिस्तान दे आया
और नेहरू का ये पाप आजतक बरक़रार है
भारत की किसी सरकार ने इस समझौते की समीक्षा तक नहीं की
पर अब एक मोदी सरकार आयी है जो सिंधु जल समझौते की समीक्षा की बात कह रही है और एक टास्क फाॅर्स भी मोदी सरकार ने बना दिया है
और जहाँ तक स्वयं मोदी सिंधु जल समझौते पर जो राय रखते है जल्द ही नेहरू का ये पाप मोदी धो देंगे और
भारत के लोगों का फायदा होगा वहीँ आतंकी पाकिस्तान में सुखा और अकाल निश्चित है।
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