
महाराजा भूपिंदर सिंह ने पटियाला में 'लीला-भवन' या रंगरलियों का महल बनवाया था, जहां केवल निर्वस्त्र लोगों को एंट्री मिलती थी। यह महल पटियाला शहर में भूपेन्दरनगर जाने वाली सड़क पर बाहरदरी बाग़ के करीब बना हआ है। इस महल का जिक्र उनके दीवान ने 'महाराजा' में किया है।
महल का एक खा़स कमरा महाराजा के लिए रिजर्व था। कमरे की दीवारों पर चारों तरफ बने चित्रों में सैकड़ों तरह के आसनों मे प्रेम क्लाप में डूबे औरत-मर्दों को दिखाया गया। कमरे को हिन्दुस्तानी ढंग से सजाया गया है। फर्श परकीमती जवाहरात से जड़े मोटे-मोटे क़ालीन बिछे हैं। महाराजा के भोग-विलास का पूरा साजो सामान मौजूद है।
महाराजा ने महल के बाहर एक 'स्विमिंग पूल' बनवाया। पूल इतना बड़ा कि 150 मर्द-औरतें एक साथ नहा सकें। यहां बड़ी शानदार पार्टियां होती थीं। पार्टियों में खुलेआम रंगरलियां चलती थी। उन पार्टियों में शरीक हाने के लिए महाराजा अपनी प्रेमिकाओं को बुलाते थे। वे सब, महाराजा और उनके दो-चार ख़ास मेहमानों के साथ तालाब में नहाती और तैरती थीं। पूरा कर्मकांड उनके महल के स्वीमिंग पूल के आसपास होता था।
इसमें उनके राज्य के अंग्रेज अधिकारी और उनकी पत्नियां और अन्य अंग्रेज औऱ देसी महिलाएं भी भाग लेती थीं। दीवान जरमनी दास ने महाराजा, महारानी नामक बेस्ट सेलर बुक्स लिखी हैं। उन्होंने इस किताब में खुल कर लिखा है कि इस अवसर पर क्या-क्या होता था।
इन पार्टियों में विलायती या गै़र-हिन्दुस्तानी लोग बहुत कम बुलाए जाते थे। सिर्फ़ वही यूरोपियन या अमेरिकन लेडी,जो उन दिनों महाराजा के मोती बाग पैलेस में मेहमान की हैसियत से ठहरी होती और जिसके साथ महाराजा की इश्कबाजी चलती होती, इन रंगरलियों में शरीक की जाती थीं।
महाराजा भूपिंदर सिंह पटियाला का जन्म 12 अक्तूबर 1891 को मोती बाग पैलेस, पटियाला में हुआ था। पिता महाराजा राजिंदर सिंह की मौत के बाद राज्य के शासक बनें भूपिंदर सिंह ने 38 वर्षों तक राज किया। सिख परिवार परिवार में पैदा हुए इस शासक के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 10 से अधिक बार शादी की थी। एक अनुमान के अनुसार महाराजा भूपिंदर सिंह 88 बच्चों के पिता थे।
इनके पास विश्व प्रसिद्ध 'पटियाला हार' था, जिसे प्रसिद्ध ब्रांड कार्टियर एसए द्वारा निर्मित किया गया था। इनकी पत्नी महारानी बख्तावर कौर इतनी सुंदर थीं कि उनको क्वीन मैरी की उपाधि प्राप्त थी। पटियाला पैग भी दुनिया को महाराजा भूपिंदर सिंह की ही देन है।
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