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इस खोज से सभी हैं हैरान 8,500 साल "कब्र" में दफन रहा ये राज.....

नई दिल्ली। दुनिया में आज भी ऐसी कई बातें हैं, जिनके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। आए दिन हमें कुछ नई बातें पता चलती रहती हैं। अब चीन में शोधकर्ताओं को करीब 8,500 साल पुरानी कब्रों में रेशम पाए जाने के प्रमाण मिले हैं। रेशम पाए जाने के इन नए प्रमाणों से लगता है कि हजारों साल पहले भी लोग रेशम से बने आलीशान कपड़ों का इस्तेमाल करते रहे होंगे।

कब्र की मिट्टी में मिले सिल्क के प्रोटीन...
चीन की यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के पुरातत्व वैज्ञानिक डेचाई गोंग ने बताया कि वैज्ञानिकों ने मध्य चीन के हेनान प्रांत के जिआहू में पाए जाने वाले करीब 9,000 साल पुराने खंडहरों का अध्ययन किया। चीन की पुरानी कहानियों में भी इस इलाके में रेशम के कीड़ों के प्रजनन और रेशम बुनाई के प्रसंग पाए जाते हैं। जिआहू पर किए गए शोध में पाया गया कि इस इलाके की गर्म और आर्द्र जलवायु शहतूत के पेड़ों के लिए अनुकूल है, जो रेशम के कीड़ों के लिए एकमात्र खाद्य सामाग्री है। वैज्ञानिकों ने जिआहू की तीन कब्रों की मिट्टी के नमूने भी इकट्ठे किए। इसके बाद रसायन वैज्ञानिकों ने यहां की तीन में से दो कब्रों में रेशम प्रोटीन पाए जाने के बारे में बताया, इसमें से एक कब्र तो करीब साढ़े आठ हजार साल पुरानी है। गोंग ने ‘लाइव साइंस’ को बताया, ‘यह प्रचीन चीन में रेशम पाए जाने के सबसे पुराने प्रमाण हैं।’
इस खोज से सभी हैं हैरान
चीन के कब्र से मिले सिल्क कपड़ों के अंश से साइंटिस्ट्स काफी हैरान हैं। दरअसल, सिल्क काफी आसानी से गल कर खत्म हो जाता है। ऐसे में साढ़े 8 हजार साल पुराने कब्र से सुरक्षित हाल में पाए गए सिल्क के अंश किसी को भी हैरान करने के लिए काफी है।

पहले भी मिल चुकी हैं कई हजार साल पुरानी चीजें
इससे पहले भी वैज्ञानिकों ने इस स्थान में हड्डी से बनी बांसुरी का पता लगाया था। जो अभी तक धरती का ज्ञात सबसे पुराना वाद्य यंत्र है। शोधकर्ताओं ने बताया कि इससे पहले चीन में करीब 5,000 साल पहले रेशम पाए जाने के प्रमाण मिले थे। इससे पहले भी शोध में वैज्ञानिकों को हड्डी से बनी सुइयां और बुनाई के उपकरण मिले थे, जिससे पता चलता था कि यहां के लोग बुनाई और सिलाई जैसे कामों में पारंगत थे। अब रेशम के सबूत मिलने के बाद यह संभावना जताई जा रही है कि शायद मृतकों को उनके रेशमी वस्त्रों के साथ कब्रों में दफना दिया गया होगा। रेशम के संबंध में यह अध्ययन एक शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
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