1. हिन्दू शास्त्र और वैवाहिक नियम
विवाह जीवन का सबसे अहम फैसला है। यह निर्णय लेना कि विवाह करना है या नहीं, यही सबसे अधिक कठिन है। वर हो या वधु, दोनों ही विवाह के लिए अंतिम समय तक मानसिक रूप से तैयार नहीं हो पाते। लेकिन फिर चाहे परिवार की ओर से दबाव हो या फिर अपनी उम्र को देखते हुए, शादी तो करनी ही पड़ती है।
2. हिन्दू शास्त्र और वैवाहिक नियम
अब दिमागी रूप से तैयार होने के बाद अगली चुनौती जो सामने आती है, वह है सही वर या वधु का चुनाव करना। भारतीय समाज की बात करें, तो वर का चुनाव तो उसकी खुद की एवं उसके परिवार की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति देखते हुए कर लिया जाता है। किंतु वधु का चुनाव थोड़ा संजीदा होता है।
3. हिन्दू शास्त्र और वैवाहिक नियम
इसके लिए कन्या के कई सारे गुणों को परखा एवं पहचाना जाता है। वैसे आज के आधुनिक युग में कन्या की खूबसूरती एवं शिक्षा दोनों को ही महत्व दिया जाता है। किंतु पहले के जमाने में कई सारे मानदण्डों को ध्यान में रखते हुए वधु का चयन किया जाता था।
4. हिन्दू शास्त्र और वैवाहिक नियम
ये उस जमाने के हिसाब से कई कारणों से सही भी था। क्योंकि उस समय स्त्री का गृहस्थी की ओर अधिक रुझान होता था। आज की स्त्री घर एवं बाहर, दोनों ओर अपनी पहचान बनाने में सफल है।
5. हिन्दू शास्त्र और वैवाहिक नियम
चलिए वर हो या वधु, इन दोनों के ही चयन के लिए हिन्दू धर्म शास्त्रों में कई सारी बातें दर्ज है। विभिन्न धार्मिक ग्रंथों एवं उपग्रंथों में कुछ मानदण्ड बताए गए हैं, जिनको आधार बनाते हुए वर-वधु को परखा जाता है। आज हम उन्हीं बातों का सार आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहे हैं, जिसकी मदद से आप एक सुंदर एवं सुशील वधु का चयन कर पाएंगे।
6. शास्त्रों की बातें
शास्त्रों के अनुसार किस स्त्री के साथ पुरुष को भूलकर भी शारीरिक संबंध स्थापित नहीं करने चाहिए, इसकी जानकारी पाएं आगे की स्लाइड्स में....
7. अविवाहित स्त्री
एक पुरुष को बिना एक स्त्री से विवाह किए, उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। फिर बेशक ये आपसी सम्मझौते से हो या जबर्दस्ती, अविवाहित स्त्री के साथ संबंध बनाना पाप है। यदि कोई पुरुष ऐसा करे तो उसे उसके साथ विवाह भी करना चाहिए।
8. विधवा स्त्री
एक पुरुष को गलती से भी एक विधवा स्त्री के करीब नहीं जाना चाहिए, अर्थात् उसके साथ शारीरिक रूप से संपर्क ना साधें। यदि वह उससे विवाह कर ले, तो उसके बाद ही ऐसी स्त्री के साथ संबंध बनाए जा सकते हैं।
9. ब्रह्मचर्य का पालन कर रही स्त्री
कभी भूलकर भी ऐसी स्त्री जो कठोर तपस्या में लीन हो या पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन कर रही हो, उस उसके मार्ग से हटाना नहीं चाहिए। ऐसी स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बनाने से ना केवल उसकी तपस्या भंग होती है, साथ ही पुरुष के सिर पर भी महापाप का भार आ जाता है।
10. दोस्त की पत्नी
अपने दोस्त की पत्नी पर बुरी नजर रखना या दोस्त की पीठ पीछे उसकी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करना, यह पाप के समान है। ऐसी स्त्री को सम्मान की नजरों से देखना चाहिए।
11. दुश्मन की पत्नी
शास्त्रों के अनुसार दुश्मन की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना या उसके साथ किसी भी प्रकार का संपर्क तक साधना एक पाप है। ऐसी स्त्री को पूर्ण रूप से नजरअंदाज करना ही सही है। ऐसी स्त्री नुकसान का कारण भी बन सकती है।
12. शिष्य की पत्नी
ओहदे में खुद से नीचे की या खुद के शिष्य की पत्नी के साथ कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। यह शास्त्रों में उल्लिखित महापापों में से एक महापाप माना जाता है।
13. खुद के परिवार की स्त्री
अपने ही परिवार की किसी स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बनाना शास्त्रों की दृष्टि से बेहद गलत है। इन स्त्रियों के साथ खून का रिश्ता होता है, इसलिए इनके साथ इस तरह का संबंध बनाना महापाप कहलाता है।
14. वेश्या
प्राचीन समय की बात हो, या फिर आज के युग की, वेश्याओं को कभी सही नहीं समझा गया। शास्त्रों के अनुसार ऐसी स्त्री, जो धन के लिए अपना मान-सम्मान त्याग कर ‘शरीर बेचने’ को तैयार हो जाए, उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना महापाप है।
15. नशे में डूबी स्त्री
कभी भी नशे का शिकार हुई स्त्री के करीब नहीं जाना चाहिए। या जो स्त्री किसी कारण से अपने होश में ना हो, ऐसी स्त्री के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। उसके नशे में या बेहोश होने का फायदा उठाने वाला पुरुष महापापी कहलाता है।
16. उम्र से बड़ी स्त्री
खुद से उम्र में बड़ी स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बनाना शास्त्रों की राय में गलत है। एक पुरुष को कभी भी ऐसी स्त्री को अपने प्रति आकर्षित करने का पाप नहीं करना चाहिए।
17. शिक्षक की पत्नी
गुरु, शिक्षक, निर्देशक, ये हमारे लिए क्या अहमियत रखते हैं यह तो वही जानता है जिसने सच्चे मन से इन्हें माना हो। लेकिन कुछ पापी लोग ऐसे ज्ञानी लोगों की पत्नी पर बुरी नजर रखते हैं। उनके उकसाकर या गलत तरीके से उनके साथ शारीरिक संबंध बनाना महापाप है।
18. पत्नी की मां
अपनी ही पत्नी की मां को ‘मां’ ही मानना चाहिए, उसके लिए मां की बजाय शारीरिक आकर्षण जैसी भावना रखना दुष्ट पापियों जैसी प्रवृत्ति होती है। ऐसी स्त्री से शारीरिक संबंध बनाने की कभी भी भूल नहीं करनी चाहिए।
19. अपनी ही माता की बहन
मासी यानी, मां के जैसी, जो स्त्री मां के जैसी कहलाने वाली होती है उसके साथ कोई शारीरिक संबंध बनाने की सोच भी कैसे सकता है? ऐसा पाप करने वाले पुरुष को मरने के बाद भयानक दण्ड प्राप्त होता है।
20. मामा की पत्नी
यह स्त्री भी मां का दर्जा पाने लायक ही होती है। इसके साथ शारीरिक संबंध बनाना या फिर इसे बुरी नजर से देखना भी, महापाप है।
21. चाचा की पत्नी
अपने खुद के परिवार के मां के बाद यदि हमारा सबसे अधिक कोई ख्याल रखती है, तो वह हमारे चाचा की पत्नी, यानी चाची होती है। इस स्त्री को मां का दर्जा देना चाहिए। इसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की सोचने वाला इंसान भी पापी है।
22. बहन
कहना तो नहीं चाहिए, लेकिन आज के युग यानी कलियुग में ऐसी कई राक्षस भाई घूम रहे हैं, जो अपनी हवस बुझाने के लिए अपनी बहन को भी अपना शिकार बना लेते हैं। ऐसे लोग मरने के बाद भयानक दण्ड को पाते हैं।
23. गर्भवती स्त्री
जो स्त्री एक रूह को जन्म देने वाली है, उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने वाला इंसान, मनुष्य कहलाने लायक नहीं है। स्वयं उसके पति को भी इस दौरान, अपनी पत्नी के करीब नहीं जाना चाहिए।
24. अनजान स्त्री
एक व्यक्ति को अपनी पत्नी से प्रेम करना चाहिए और उसे ही अपने करीब आने का हक़ प्रदान करना चाहिए। किसी अनजान के करीब जाना या स्वयं उसे ही ऐसा करने की अनुमति देना, शास्त्रों की दृष्टि से गलत है।
25. दोषपूर्ण स्त्री
इसका मतलब है जिस स्त्री ने पाप किए हों या किसी अपराध के चलते दोषी मानी गई हो, ऐसी स्त्री के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।
26. एक और बात...
ध्यान रहे कि निषिद्ध या वर्जित इन कामों को करने वाला इंसान मनुष्य की श्रेणी खो बैठता है तथा मनुष्य शरीर में मौज़ूद ऐसा नराधम क्रूरतम दण्ड का भागी बनता है। ऐसे निंदित मनुष्य़ का इहलोक और परलोक दोनों बिगड़ता है। ऐसे पापियों को मिलने वाली सज़ाओं का वर्णन कई पुराणों और स्मृतियों में मिलता है।
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