
नई दिल्ली। आज से चालीस साल पहले मार्टिन कूपर नामक एक शख्स ने मोबाइल फोन की परिकल्पना की थी। 1973 में कूपर ने दुनिया का पहला मोबाइल फोन काॅल किया। इस फोन का वजन दो पाउंड था आैर इसे 10 घंटे चार्ज करने पर 35 मिनट बात हो पाती थी। इसकी कीमत 3995 पाउंड थी।
इस समय गर्इ गुना तेज आैर हलका स्मार्टफोन का चलन है आैर यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो चुका है। नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के क्यूरेटर जोशुआ बेल आैर जोल किपर्स ने दो साल तक मोबाइल फोन कल्चर पर रिसर्च किया है। दोनों ने मिलकर पता लगाया कि भविष्य में मोबाइल फोन में कैसी टेक्नोलाॅजी काम में ली जाएगी। इसमें इन्होंने साइंस फिक्शन आैर रिसर्च की मदद ली।
शरीर में शामिल होगा फोन
हाॅलीवुड मूवी 'टोटल रिकाॅल' की तरह आने वाले समय में हमारा शरीर ही मोबाइल फोन का काम करेगा। मसलन हथेली कीपैड बन जाएगी आैर हमारी बाॅडी एक फोन जो दूसरे स्मार्ट गैजेट से कनेक्टेड होगा।
हाॅलीवुड मूवी 'टोटल रिकाॅल' की तरह आने वाले समय में हमारा शरीर ही मोबाइल फोन का काम करेगा। मसलन हथेली कीपैड बन जाएगी आैर हमारी बाॅडी एक फोन जो दूसरे स्मार्ट गैजेट से कनेक्टेड होगा।
इससे होने वाले खतरे...
हमारी हर हरकत को ट्रेस किया जा सकेगा। अगर कोर्इ वायरस का हमला होता है तो वह हमारे शरीर के जीनोम को ही प्रभावित कर सकेगा। मानव आॅपरेटिंग सिस्टम2001 स्पेस आेडिसी (1968) आैर हर (2013) मूवीज में एक महिला के रुप में आॅपरेटिंग सिस्टम दिखलाया गया था। इससे हमारे लिए यह तय करना मुश्किल हो जाएगा कि जिंदा रहने के लिए क्या शरीर जरुरी है या फिर हम मशीन में भी जिंदा रह सकते हैं। सेल फोन रिपेयर टेक्नोलाॅजीआने वाले 100 सालों में हम केवल नए फोन खरीदने वाले ग्राहक ही नहीं रहेंगे बल्कि एक एेसा कल्चर विकसित हो जाएगा जिसमें हम सब खुद ही मोबाइल फोन रिपेयर या फिर उनको हैक कर सकेंगे। आेपन सोर्स टेक्नोलाॅजी सभी तरह की तकनीकें आेपन सोर्स होंगी यानि सभी के लिए यह उपलब्ध होगी । इससे तकनीक के मामले में किसी भी प्रकार का भेदभाव बंद होगा आैर इसके अलावा इससे बेहतर डिवाइसेज बनाने में मदद मिलेगी। इससे कनेक्टिविटी आैर इंसान होने की हद पार भी की जा सकेगी।
हमारी हर हरकत को ट्रेस किया जा सकेगा। अगर कोर्इ वायरस का हमला होता है तो वह हमारे शरीर के जीनोम को ही प्रभावित कर सकेगा। मानव आॅपरेटिंग सिस्टम2001 स्पेस आेडिसी (1968) आैर हर (2013) मूवीज में एक महिला के रुप में आॅपरेटिंग सिस्टम दिखलाया गया था। इससे हमारे लिए यह तय करना मुश्किल हो जाएगा कि जिंदा रहने के लिए क्या शरीर जरुरी है या फिर हम मशीन में भी जिंदा रह सकते हैं। सेल फोन रिपेयर टेक्नोलाॅजीआने वाले 100 सालों में हम केवल नए फोन खरीदने वाले ग्राहक ही नहीं रहेंगे बल्कि एक एेसा कल्चर विकसित हो जाएगा जिसमें हम सब खुद ही मोबाइल फोन रिपेयर या फिर उनको हैक कर सकेंगे। आेपन सोर्स टेक्नोलाॅजी सभी तरह की तकनीकें आेपन सोर्स होंगी यानि सभी के लिए यह उपलब्ध होगी । इससे तकनीक के मामले में किसी भी प्रकार का भेदभाव बंद होगा आैर इसके अलावा इससे बेहतर डिवाइसेज बनाने में मदद मिलेगी। इससे कनेक्टिविटी आैर इंसान होने की हद पार भी की जा सकेगी।
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