किसी समय में भारत जंगलों और पहाड़ों का देश रह चुका है। हालांकि पहाड़ तो आज भी हैं लेकिन जंगल धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं। प्राचीन समय में राजा-महाराजा अपनी सुरक्षा के लिए पहाड़ों के बीच अपने गुप्त किले बनवाते थे। उन किलों के बारे में जानने वाले कम ही लोग होते थे, अगर गलती से कोई जान भी जाता तो वहां जाने की हिम्मत नहीं करता। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वहां जाने से लोग डरते क्यों थे? क्या वहां कोई भूत-प्रेत रहता था? तो आपको बता दें ऐसा कुछ नहीं होता था।

कम ही लोग कर पाते थे किले तक पहुंचने की हिम्मत:
बल्कि वो किले पहाड़ पर ऐसी जगह बनाए जाते थे, जहां तक पहुंचने के लिए खतरनाक रास्तों से होकर गुजरना पड़ता था। जिसकी हिम्मत कम ही लोग कर पाते थे। आज कई सालों के बाद भी वो किले वैसे ही सुरक्षित हैं। जो लोग घूमने के शौकीन हैं, वो उन किलों का चक्कर लगाते रहते हैं। आज हम आपको भारत के एक ऐसे ही खतरनाक किले के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां जाने के लिए लोगों को अपनी जान की बाजी लगानी पड़ती है।

हर्षगढ़ के नाम से जाना जाता है इस किले को:
हम जिस खतरनाक किले की बात कर रहे हैं वह महाराष्ट्र के नासिक के कसारा से 60 किलोमीटर दूर स्थित है। इस किले को हर्षगढ़ के किले के नाम से जाना जाता है। यह किला काफी पुराना है और यहां तक पहुंचने के लिए लोगों को दुनिया के सबसे खतरनाक ट्रैक से होकर गुजरना पड़ता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह किला पहाड़ पर 170 मीटर की ऊंचाई पर लगभग 90 अंश के कोण पर बना हुआ है। इस किले तक पहुंचने के लिए लोगों को 1 मीटर चौड़ी बनी हुई 107 सीढ़ियों से होकर गुजरना पड़ता है। यह सीढ़ियां एक चट्टान से होकर जाती हैं।

किले के रास्ते में है हनुमान जी और भगवान शिव के मंदिर:
इस किले के रास्ते में हनुमान जी और भगवान शंकर के छोटे मंदिर भी हैं, वहीं पास में एक छोटा तलब भी बना हुआ है। तालाब का पानी हर समय साफ और शीतल रहता है, जिसका लोग पीने के लिए प्रयोग करते हैं। तालाब के पास ही दो कमरे भी बनाये गए हैं, ताकि यहां आने वाला व्यक्ति रुककर आराम कर सके। हालांकि इस किले तक पहुंचने का रास्ता बहुत कठिन है, लेकिन जो यहां तक पहुंच जाता है, उसे बहुत ही मनोरम नज़ारा देखने को मिलता है। अगर समय मिले तो एक बार आप भी इस किले का चक्कर लगा आइये, यकीनन आप पूरे रोमांच से भर उठेंगे।

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