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JNU की देशद्रोही प्रोफेसर निवेदिता मेनन को वंसुन्धरा सरकार ने दिया क्लीन चिट




मित्रों, आपको समय पहले जोधपुर के व्यास विश्वविद्यालय में हुए एक सेमीनार में JNU दिल्ली से व्याख्यान(?) देने आई प्रोफ़ेसर निवेदिता मेनन के विवादित और भड़काऊ भाषणों के विवाद की जानकारी तो होगी ही.
जो भूल गए हों, उन्हें फिर से याद दिला देता हूँ... “कुख्यात JNU” से जोधपुर पधारी प्रोफ़ेसर निवेदिता मेनन ने अपने भाषण में, न केवल भारत माता, भारत के सैनिकों का अपमान किया, बल्कि भगवान राम के बारे में भी अनर्गल बातें कही थीं. 

हालाँकि वहां उपस्थित दुसरे जागरूक प्रोफेसरों ने तत्काल इस घटिया बयानबाजी और राजनैतिक ढोंग की कड़ी आलोचना की और मेनन को जमकर खरी-खोटी सुनाई थी, लेकिन विवाद ज्यादा न बढ़े इसलिए व्यास विवि के उस सेमिनार के आयोजकों ने मामला रफा-दफा करने की पूरी कोशिश की थी. ABVP के दबाव में निवेदिता मेनन पर देशद्रोही और भड़काऊ भाषण का मामला दर्ज हुआ था.
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अब आगे सुनिए.... “राष्ट्रवादी भाजपा” की वसुंधरा सरकार ने प्रोफ़ेसर निवेदिता मेनन को कोर्ट में “क्लीन चिट” दे दी है. राजस्थान पुलिस ने कह दिया है कि निवेदिता मेनन के भाषण में कुछ भी “आपत्तिजनक” नहीं था और यह उनके व्यक्तिगत विचार थे, इसलिए भावनाएँ भड़काने का प्रश्न ही नहीं उठता. राजस्थान पुलिस के इस रवैये से सभी हैरान हैं. पुलिस की “क्लीन चिट” थ्योरी में कई लूपहोल हैं, जो कि उच्च स्तर से हरी झंडी मिले बिना संभव नहीं हैं.
1) अंगरेजी विभाग ने मेनन के विवादित भाषण का वीडियो डिलीट करवा दिया था, इस कृत्य को पुलिस ने सबूत मिटाने के प्रयास के रूप में दर्ज नहीं किया.
2) इतिहास विभाग के प्रोफ़ेसर चतुर्वेदी के बयानों और मोबाईल क्लिप्स को भी पुलिस ने जानबूझकर संज्ञान में नहीं लिया.
3) पुलिस ने कोर्ट में प्रोफ़ेसर निवेदिता मेनन का मूल भाषण पेश ही नहीं किया, ना ही उसका लिखित ट्रान्सक्रिप्शन पेश किया... सिर्फ एक सीडी जमा की गई, जिसमें कुछ भे नहीं था.
4) पुलिस ने भारत माता, भारत की सेना और भगवान राम के सम्बन्ध में दिए गए बयानों को “व्यक्तिगत बयान” मानकर चालान पेश किया, जबकि ये सारी विवादित बातें बाकायदा मंच से दर्जनों लोगों के सामने कही गई थीं किसी “व्यक्तिगत कमरे” में नहीं.
5) पुलिस ने शिक्षकों का बयान लेने की बजाय “दबाव” में आए कुछ गरीब छात्रों के बयान को आधार मानकर ही क्लीन चिट प्रदान कर दी.
6) मजे की बात यह है कि विश्वविद्यालय की जांच कमेटी (जिसमें कई विद्वान प्रोफेसर्स भी हैं) ने निवेदिता मेनन के बयानों को विवादित माना था, लेकिन पुलिस को इन बयानों में कोई देशद्रोह नहीं नज़र आया.
अब हम प्रोफ़ेसर निवेदिता मेनन के “खुल्लमखुल्ला” दिए गए भाषण के अंश पुनः पेश करते हैं. आप खुद तय करें..
1) भगवान राम का जन्म कैसे हो सकता है? यदि उन्हें भगवान मानते हैं तो भगवान कभी जन्म नहीं लेते. उन्हें खामख्वाह महिमामंडित किया जाता है. 
2) कश्मीर पर भारत ने गैरजरूरी कब्ज़ा जमा रखा है, और भारत के सैनिक किसी देशभक्ति के तहत नहीं केवल अपना पेट पालने के लिए सेना में भर्ती होते हैं. 
3) भारत के नक़्शे को उल्टा दिखाया जाना चाहिए... (सेमिनार में उल्टा दिखाया भी), क्योंकि भारत माता के चित्र में उस “गोरी” औरत के हाथों में भगवा झंडा है, जबकि भारत की असली पहचान तो, भैंस के साथ खडी काली दलित औरत होनी चाहिए. भारत माता वगैरह केवल एक कल्पना मात्र है.
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सोचने वाली प्रमुख बातों में से पहली तो यह है कि खुद को “राष्ट्रवादी” मानने वाली (जी हाँ, मानने वाली) भाजपा के शासन में किसी “संदिग्ध रिकॉर्ड” वाली नक्सल समर्थक JNU की प्रोफ़ेसर निवेदिता मेनन को बुलाया ही क्यों गया?? 
किसने बुलाया? JNU के घोषित शहरी नक्सलियों और वामपंथी प्रोफेसरों से मधुर सम्बन्ध बनाने की ख्वाहिश किसकी थी? दूसरी बात यह कि जब सेमीनार हो रहा था, उसी समय इस देशद्रोही का भाषण बीच में रोककर वहां से रवाना क्यों नहीं कर दिया गया? तीसरी बात यह है कि जब वह प्रोफ़ेसर खुल्लमखुल्ला भड़काऊ बयान दे चुकी, तो भाषण का वीडियो डिलीट करने की जल्दबाजी क्यों की गई?
और सबसे अंतिम और महत्त्वपूर्ण सवाल यह कि किसके इशारे पर राजस्थान पुलिस ने निवेदिता मेनन को “क्लीन चिट” देने का प्रपंच रचा? न्यायालय को गुमराह किया गया... क्या भाजपा की सरकारें डरपोक हैं? या इनका “राष्ट्रवाद” नकली और फुसफुसा टाईप का हो गया है??
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