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डॉ. आंबेडकर की 126वीं जयंती :ये बाते बाबा साहेब अंबेडकर को महात्मा गांधी से अलग करती हैं

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आजादी के आंदोलन में जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल अगर कंधे से कंधा मिलाकर चले तो आजाद भारत की राजनीति ने उन्हें आमने-सामने खड़ा कर दिया. इतिहास से सवाल पूछा गया कि नेहरू महान थे या पटेल? ठीक इसी तरह गुलाम भारत में महात्मा गांधी और बाबा साहेब आंबेडकर ने अनेक मुद्दों पर एक जैसे विचार रखे. दोनों ने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने की पुरजोर वकालत की और दोनों ने आजाद भारत की एक परिकल्पना देश के सामने रखी जिसके चलते आजादी के लगभग सात दशक बाद भी दोनों की प्रासंगिकता बनी हुई है. लेकिन इस ऐतिहासिक जोड़ी के संदर्भ में भी इतिहास से सवाल पूछा जाता है कि क्यों आंबेडकर और गांधी अलग थे?
1. आंबेडकर और गांधी कभी किसी राजनीतिक दल में एक साथ नहीं रहे. गुलामी के दिनों में 1920 के दशक में आंबेडकर विदेश में पढ़ाई पूरी कर भारत लौटे. उस वक्त तक गांधी कांग्रेस की अगुवाई में आजादी के आंदोलन में अपनी पहचान बना चुके थे.
2. ग्रामीण भारत, जाति प्रथा और छुआ-छूत के मुद्दों पर आंबेडकर और गांधी की पहचान एक दूसरे का विरोधी होने की बनी. हालांकि दोनों की कोशिश देश को सामाजिक न्याय और एकता पर आधारित करने की थी और दोनों ने इन उद्देश्यों के लिए अलग-अलग रास्ता दिखाया.
3. गांधी के मुताबिक यदि जाति व्यवस्था से छुआ-छूत जैसे अभिशाप को बाहर कर दिया जाए तो पूरी व्यवस्था समाज के हित में काम कर सकती है. इसकी तार्किक अवधारणा के लिए गांधी ने गांव को एक पूर्ण समाज बोलते हुए विकास और उन्नति के केन्द्र में रखा.
4. गांधी के उलट आंबेडकर ने जाति व्यवस्था को पूरी तरह से नष्ट करने का मत सामने रखा. आंबेडकर के मुताबिक जबतक समाज में जाति व्यवस्था मौजूद रहेगी, छुआ-छूत जैसे अभिशाप नए-नए रूप में समाज में पनपते रहेंगे.
5. गांधी ने पूर्ण विकास के लिए लोगों को गांव का रुख करने की वकालत की. गांधी के मुताबिक देश की इतनी बड़ी जनसंख्या का पेट सिर्फ इंडस्ट्री या फैक्ट्री के जरिए नहीं भरा जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि औद्योगिक विकास को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केन्द्र में रखते हुए विकसित किया जाए.
6. आंबेडकर ने लोगों से गांव छोड़कर शहरों का रुख करने की अपील की. आंबेडकर के मुताबिक गांव को छोड़ना इसलिए जरूरी है क्योंकि आर्थिक उन्नति और बेहतर शिक्षा सिर्फ शहरों में मिल सकती है और बिना इसके दलित समाज को विकास के चक्र में लाना नामुमकिन है.
7. गांधी सत्याग्रह में भरोसा करते थे. उन्होंने ऊंची जातियों को सत्याग्रह के लिए प्रेरित किया. उनका मानना था कि छुआ-छूत जैसे अभिशाप को खत्म करने का बीड़ा ऊंची जातियों के लोग उठा सकते हैं. इसके लिए उन्होंने कई आंदोलन छेड़े और व्रत रखे जिसके बाद कई मंदिरों को सभी के लिए खोल दिया गया.
8. आंबेडकर का मानना था कि सत्याग्रह पूरी तरह से निराधार है. उनके मुताबिक सत्याग्रह के रास्ते ऊंची जाति के हिंदुओं का हृदय परिवर्तन नहीं किया जा सकता क्योंकि जाति प्रथा से उन्हें भौतिक लाभ होता है और इस लाभ का त्याग वह नहीं कर सकते.
9. महात्मा गांधी राज्य में अधिक शक्तियों को निहित करने के विरोधी थे. उनकी कोशिश ज्यादा से ज्यादा शक्तियों को समाज में निहित किया जाए और इसके लिए वह गांव को सत्ता का प्रमुख इकाई बनाने के पक्षधर थे. इसके उलट आंबेडकर समाज के बजाए राज्य को ज्यादा से ज्यादा ताकतवर बनाने की पैरवी करते थे.
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