‘‘बिहार के पुराने राजा के पास ज्यादा खेतीबाड़ी नहीं है मगर दिमाग जबरदस्त है। वो धूल बेचकर भी माल कमाना जानते हैं। अब देखिए न, राजधानी पटना के दानापुर में सगुना मोड़ के पास 50 कठ्ठा में उनका भव्य शॉपिंग मॉल बन रहा है। इसके लिए दो अंडरग्राउन्ड फ्लोर खोदा गया है, जिसकी मिट्टी वन विभाग को बेचकर उन्होंने 80 लाख रुपये सरकार से कमा लिया है। इसे ही कहते हैं आम के आम और गुठलियों के दाम’’।
ये कहना है पटना के चिड़ियाघर के एक चपरासी का। उसका कहना सच्चाई के काफी नजदीक है पर, दुखद पक्ष ये है कि कड़क और हाजिर जवाबी पूर्व राजा को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने पटना के चिड़ियाघर में रह रहे 1200 वन्य प्राणियों की जान को भयंकर जोखिम में डाल दिया है और उन्हें दो महीने से रातभर सोने नहीं दिया है।
इसकी वजह निर्माणाधीन शॉपिंग मॉल से निकली मिट्टी को ढोकर जू में गिराया जाना है। मिट्टी ढोने का काम रात 10 बजे शुरू होता है जो सुबह 4 बजे तक चलता है। लिहाजा, यह स्वभाविक है कि गाड़ियों की गड़गड़ाहट से वन्य प्राणी पूरी रात जागते हैं। फिर भी मानवीय संवेदना की डींग हांकने वाले अधिकारियों को नाम मात्र की फिक्र नहीं है, या फिर ये लोग मौनी बाबा बने रहना चाहते हैं।
करीब दो महीना पहले शॉपिंग मॉल बनाने का काम शुरू हुआ। अंडरग्राउन्ड दो तलों की मिट्टी को डम्प करने का मसला सामने आया। पूर्व राजा के दोनों बेटे मंत्री हैं। सम्बन्धित विभाग भी उन्हीं में से एक के दायरे में है। विभाग के सहनशील और घुलनशील अधिकारियों को दरबार में हाजिर होने का आर्डर गया। सब आए। राजा ने मसला उनलोगों के सामने रखकर उसका उपाय मांगा। सबके चेहरे पर बारह बजने लगा। तब राजा ने स्वयं अपना दिमाग इस्तेमाल कर इसका हल निकाला। ‘‘वन विभाग हमारा सारा मिट्टी खरीदकर जू में फेंकवा दे और 4500 रूपए प्रति हाइवा के दर से भुगतान कर दे’’।
राजा का आदेश पत्थर पर लिखे लकीर के समान होता है। लिहाजा, दूसरे दिन आनन-फानन में अधिकारियों की इमरजेन्सी मीटिंग हुई, जिसमें आदेश को तामिल करने का निर्णय लिया गया। माथापच्ची और विचार-विमर्श के बाद अधिकारियों ने चिड़ियाघर को सुन्दर बनाने का एक ऑफीसियल प्लान और एस्टीमेट तैयार किया जिसमें लगभग 90 लाख रूपए का बजट रखा गया।
सौन्दर्यीकरण के नाम पर प्लान के तहत चिड़ियाघर में में दो महीने से मिट्टी की अनावश्यक पगडन्डी बनाई जा रही है ताकि राजा के शॉपिंग मॉल से निकाली मिट्टी खपाई जा सके। राजा का पहरेदार बंटी, जिसके जिम्मे चिड़ियाघर के दोनों गेट पर गाड़ी पार्किंग का ठेका है, अपने मालिक के एवज में मिट्टी का भुगतान लेता है।
बहरहाल, पटना के चिड़ियाघर के निदेशक नन्दकुमार का दावा है कि रात भर हाइवा चलने से वन्य प्राणियों को कोइ तकलीफ नहीं हो रही है क्योंकि सारे वन्य जीव जूलॉजिकल जोन में रहते हैं जबकि नया ट्रेल बनाने का काम बॉटनिकल क्षेत्र में हो रहा है। वो कहते हैं ‘‘मुझे जानकारी नहीं है कि मिट्टी कहां से खरीद कर लायी जा रही है। इससे मुझे कुछ लेना-देना भी नहीं है’’। नंदकुमार आगे बताते हैं कि ‘‘करीब दो किलोमीटर की दूरी में पूरा कार्य हो रहा है। इसमें थीम बेस्ड गार्डेन डेवलप की जाएगी’’।
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नंदकुमार के दावे को पूर्णतः खारिज करते हुए पटना जू के रिटायर्ड उप निदेशक प्रवीण कहते हैं कि ‘‘ वन्य जीव अधिनियम के तहत जू के अन्दर रात में कोई ऐसा कार्य नहीं किया जा सकता जिससे वन्य प्राणियों को परेशानी हो। रात में हाइवा चलवाकर उनके साथ घोर अन्याय किया जा रहा है। कोई देखने- सुनने वाला नहीं है। मेरे समझ में नहीं आ रहा है कि किसको आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिये बिना मतलब के जू के अन्दर रात के अंधेरे में इतना मिट्टी गिराया जा रहा है’’।
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