नई दिल्ली(14 अप्रैल): नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को डॉ. भीमराव आंबेडकर की 126वीं जयंती पर भीम आधार-पे फेसेलिटी को लॉन्च किया। इसके बाद प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की।
- मोदी ने दीक्षाभूमि जाकर आंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। भीम आधार-पे के जरिए आप अपनी उंगली के जरिए कहीं भी आसानी से पेमेंट कर सकेंगे। अब कोई भी पेमेंट करने के लिए आपको कैश, क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड साथ रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- बाद में मोदी ने कहा- अभाव के बीच पैदा होकर भी प्रभावी ढंग से जीवन को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसकी प्रेरणा आंबेडकर से मिलती है।
- मोदी ने कहा, "आज 14 अप्रैल बाबा साहब अंबेडकर की जयंती का प्रेरक अवसर है। ये मेरा सौभाग्य है कि आज सुबह दीक्षा भूमि पर जाकर उस पवित्र भूमि को नमन करने का मौका मिला। एक नई प्रेरणा और ऊर्जा लेकर मैं आपके बीच आया हूं। इस देश के दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित,गांव, गरीब, किसानों के सपनों का आजाद भारत में क्या होगा? क्या आजाद भारत में इनकी पूछ होगी या नहीं? इन सारे सवालों के जवाब अंबेडकर जी ने संविधान के माध्यम से देशवासियों को गारंटी के रूप में दिए थे।”
- “उसी का परिणाम है कि संवैधानिक व्यवस्थाओं के कारण आज देश के हर तबके के व्यक्ति को कुछ करने के लिए अवसर सुलभ हैं। वही अवसर उसके सपनों से जी-जान से जुटने के लिए प्रेरित करते हैं। व्यक्तिगत रूप से मेरे जीवन में मैं हमेशा अनुभव करता हूं कि अभाव के बीच में पैदा होकर भी किसी भी प्रकार के प्रभाव प्रभावित हुए बिना, जीवन की यात्रा को सफलता पूर्वक आगे बढ़ाया जा सकता है। ये प्रेरणा अंबेडकर से मिलती है। अभाव का रोना नहीं रोना, प्रभाव से विचलित नहीं होना, ये संतुलित जीवन दबे-कुचलों के लिए प्रेरणा बना। ये काम बाबा साहब ने अपने जीवन से दिया।'
हमारे लिए अमृत वर्षा
- “बाबा साहब के मन में बदले का भाव अंश भर भी नहीं था। न कभी ये संविधान में प्रकट हुआ, न वाणी में प्रकट हुआ। व्यक्ति की ऊंचाई ऐसी कसौटी पर कसने से पता चलता है। हम शिव जी की महानता की चर्चा करते हैं, तो कहते हैं कि जहर पी लिया था। बाबा साहेब ने जीवनभर जहर पीते-पीते हम लोगों के लिए अमृत की वर्षा की। उस महापुरुष की जंयती पर। उस धरती पर जहां उनका नवजन्म हुआ, वहां देश के चरणों में नई व्यवस्था देने का प्रयास कर रहे हैं।”
ऊर्जा के बिना कठिन
- “आज अनेक योजनाओं-भवनों की शुरुआत हुई। 2000 मेगावाट बिजली के कारखाने का लोकार्पण हुआ। ऊर्जा जीवन का अभिन्न अंग बन गई है। विकास का कोई भी सपना ऊर्जा के अभाव में संभव नहीं होता है। 21वीं सदी में ऊर्जा एक प्रकार से हर नागरिक का हक बन गया है। ये बन चुका है। देश को 21वीं सदी में प्रगति की ऊंचाइयों पर ले जाना है, तो ऊर्जा जरूरी है। भारत ने भी बीड़ा उठाया है कि हम पूरे विश्व को परिवार मानने वाले लोग हैं। हम ऐसा कुछ नहीं होने देंगे कि आने वाली पीढ़ियों को नुकसान पहुंचे। हमने 175 गीगावाट रिन्यूअल एनर्जी का सपना देखा है।”
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