किसानों को उनकी उपज के लाभकारी मूल्य दिलाने और उपभोक्ताओं को गुणवत्ता वाले उत्पाद उचित मूल्य मुहैया कराने के लिए मंडी कानून में सुधार की एक कारगर पहल की गई है।
नई दिल्ली। आनलाइन मंडियों का विकल्प चुनने वाली मंडियों में हाजिर कारोबार को बंद किया जा सकता है। इसकी जगह कृषि उपज बेचने वाली इन मंडियों में अधिसूचित जिंसों में सिर्फ आनलाइन कारोबार करने की ही छूट होगी। लेकिन हाजिर कारोबार बंद करने से पहले इन मंडियों में जरूरत के सभी संसाधन मुहैया कराए जाएंगे। देश के 13 राज्यों की कुल 417 मंडियों को ई-प्लेटफार्म पर जिंसों के आनलाइन कारोबार करने की अनुमति दी गई है।
किसानों को उनकी उपज के लाभकारी मूल्य दिलाने और उपभोक्ताओं को गुणवत्ता वाले उत्पाद उचित मूल्य मुहैया कराने के लिए मंडी कानून में सुधार की यह एक कारगर पहल की गई है। केंद्र सरकार के इस मसौदे को ज्यादातर राज्यों ने हाथों-हाथ लिया है। इन मंडियों को ई-प्लेटफार्म मुहैया कराने और नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट के रूप में मान्यता देने के लिए केंद्र सरकार ने भरपूर वित्तीय मदद उपलब्ध कराई है। पहले इन मंडियों को 30 लाख रुपये की केंद्रीय मदद दी जाती थी, उसे बढ़ाकर अब 75 लाख प्रति मंडी कर दिया गया है।
इस वित्तीय मदद से वहां इंटरनेट सुविधा, जिंसों की क्वालिटी जांचने के लिए प्रयोगशाला, जिंस की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सफाई, ग्रेडिंग, पैकिंग और भंडारण की सुविधा दी जाएगी। आनलाइन कारोबार के लिए हर जरूरी साधन मुहैया कराया गया है। संबंधित राज्य सरकारें भी इस दिशा में पहल कर रही हैं। पिछले सालभर के भीतर देश की 417 मंडियों में आनलाइन कारोबार होने लगा है।
कुल 69 जिंसों की खरीद-फरोख्त हो रही है। लगभग 40 लाख किसानों ने ई-प्लेटफार्म पर कारोबार करने के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया है। इस अवधि में 15 हजार करोड़ रुपये का कारोबार भी हो चुका है। इस प्लेटफार्म पर व्यवसाय करने के लिए 88 हजार व्यापारी और 44 हजार कमीशन एजेंटों ने अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है। ई-नाम में रुचि न दिखा रहे तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने शामिल होने की हामी भर ली है।
केंद्र व राज्यों के बीच बनी आम सहमति के करार में राज्य सरकारों ने माना है कि सभी तरह की सुविधाओं से लैस होने के बाद इन ई-मंडियों में हाजिर कारोबार यानी हाथों-हाथ होने वाली खरीद फरोख्त रोक दी जाएगी। मंडियों की प्रयोगशालाओं में जिंसों का परीक्षण किया जाएगा, जिसकी गुणवत्ता रिपोर्ट के आधार पर दूर बैठे व्यापारी अथवा उपभोक्ता को अपेक्षित मूल्य पर खरीद करने में सहूलियत होगी। ज्यादातर मंडियों में यह सुविधा बहाल हो गई है। राज्यों के सहयोग से इन मंडियों में हाजिर कारोबार पर जल्दी ही रोक लगाई जा सकती है। क्योंकि दोहरी व्यवस्था खत्म न करने पर ई-नाम के औचित्य पर सवाल खड़ा हो सकता है।
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