चेताया
अफगानिस्तान में आईएस के ठिकानों पर अमेरिका द्वारा महाबम गिराया जाना आतंकी संगठन तालिबान के लिए भी एक संदेश माना जा रहा है।
जेएनएन (नई दिल्ली)। अमेरिका ने एक ऐसे समय अफगानिस्तान में सबसे बड़े बम का इस्तेमाल किया जब सीरिया, इराक और यमन के हालात कहीं अधिक चर्चा में थे। अफगानिस्तान के हालात अमेरिकी मीडिया की भी सुर्खियों से करीब-करीब गायब थे, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार वहां की स्थितियां अमेरिकी प्रशासन के लिए चिंता का कारण बन रही थीं।
इसकी एक वजह यह थी कि बीते साल तालिबान ने कहीं अधिक तेजी से अपने पांव पसारे। उसने अनेक ऐसे इलाके कब्जाए जहां वह पहले कभी मजबूत नहीं था। इसके अलावा खुद को आइएस-खुरासान बताने वाला आतंकी गुट भी तेजी से अपनी ताकत बढ़ा रहा था। अपने महाबम के जरिये अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसी आतंकी गुट को निशाना बनाया है। इसके जरिये ट्रंप प्रशासन ने तालिबान को भी संदेश दिया है कि यदि वे उसके लिए खतरा बने तो उनका भी यही हश्र होगा। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे बम धमाके का मनोवैज्ञानिक असर कहीं अधिक होता है।
पिछले कुछ समय से पाकिस्तान सीमा से सटे नांगरहार प्रांत में आइएस-खुरासान के आतंकियों का आतंक बढ़ता जा रहा था। यह वही आतंकी गुट है जिसने फरवरी माह में पाकिस्तान में सूफी दरगाह में हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस हमले में करीब सौ लोगों की जान गई थी।
आग के गोले ने धरती हिलाई
अचिन जिले के एक नागरिक सरब ने गार्डियन अखबार के संवाददाता को बताया कि उसने गुरुवार को विशालकाय आग का गोला देखा जिसने चंद क्षणों में ही धरती को हिला दिया। सरब के मुताबिक इस पहाड़ी इलाके की गुफाओं में आइएस के करीब छह-सात सौ आतंकी कब्जा जमाए थे और वहां आम नागरिक मुश्किल से ही फटकते थे। एक अफगान सैनिक के मुताबिक, इस बम के धमाके का असर पड़ोसी जिलों में भी किसी बड़े भूकंप जैसा था।
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