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बड़ी खबर :अयोध्या के राम मंदिर बनाने की पहल करने पहुंचे सैकड़ों मुस्लिम, बोले - एकता के लिए जरूरी है...

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नई दिल्ली/लखनऊ : अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा ठंडा होने का नाम नहीं ले रहा. खास बात ये है कि अब मुस्लिम समुदाय के एक तबके ने भी राम मंदिर बनाने की वकालत शुरु कर दी है. कल अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि मुस्लिम कारसेवक मंच के लोगों ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने का संकल्प लिया.
कारसेवक मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष आजम खान ने इस बारे में अपनी मांग रखी
खास बात ये है कि वो इसे विकास से बड़ा बता रहे हैं. श्री रामजन्मभूमि मुस्लिम कारसेवक मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष आजम खान ने इस बारे में अपनी मांग रखी. कल इन्होंने अयोध्या में रामचंद्र परमहंस की समाधि पर पहुंचकर अयोध्या में राम मंदिर बनाने का संकल्प लिया. आजम खान के साथ मुस्लिम समुदाय के और भी लोग थे.
ये है कि ये कह रहे हैं कि राम मंदिर का मुद्दा विकास से बड़ा मुद्दा है
हैरानी की बात ये है कि ये कह रहे हैं कि राम मंदिर का मुद्दा विकास से बड़ा मुद्दा है. उन्होंने कहा कि ‘हमें विकास नहीं चाहिए, हमें सबसे पहले श्री राम मंदिर चाहिए. मैं अपने मुस्लिम भाइयों से कहता हूं कि वह इसको अपनी प्रतिष्ठा से ना जोड़ें और राम मंदिर निर्माण के लिए आगे आएं. यह भारत के लिए और मुस्लिम समुदाय के लिए गर्व की बात होगी.
बाबर के नाम पर मस्जिद बनाने का पुरजोर विरोध भी किया
आजम खान और उनके साथियों ने न सिर्फ रामजन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर बनाने का संकल्प लिया, बल्कि बाबर के नाम पर मस्जिद बनाने का पुरजोर विरोध भी किया. उन्होंने कहा ‘अगर अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनती है तो यह भगवान श्रीराम का अपमान होगा. राम का मंदिर वहीं बनना चाहिए जहां राम की जन्मभूमि है.’
मस्जिद बाबर के नाम पर ना बने, बल्कि अशफाक उल्ला खा के नाम पर बने
साथ ही उन्होंने कहा कि ‘मस्जिद के लिए सरकार दूसरी जगह जमीन दे, लेकिन वह मस्जिद बाबर के नाम पर ना बने. बल्कि अशफाक उल्ला खा के नाम पर बने, क्योंकि बाबर का नाम सुनकर ही गुलामी का एहसास होता है. श्री रामजन्मभूमि मुस्लिम कारसेवक मंच के सदस्य, आजम खान के नेतृत्व में हफ्ते भर पहले भी ईंटों का ट्रक लेकर अयोध्या पहुंचे थे, लेकिन तब उन्हें रोक दिया गया था.
हाईकोर्ट ने 2010 में जो फैसला सुनाया था उसके मुताबिक ज़मीन को तीन हिस्सों में बांट दिया
दरअसल ये मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है. सबको इंतजार है कि सुप्रीम कोर्ट इसपर क्या फैसला सुनाता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में जो फैसला सुनाया था उसके मुताबिक ज़मीन को तीन हिस्सों में बांट दिया गया था. दो तिहाई हिस्सा हिन्दू पक्ष को मिला और एक तिहाई सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को.


राम चबूतरा और सीता रसोई का हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को मिला
हिंदू पक्ष वाले में राम मूर्ति वाला हिस्सा रामलला विराजमान को मिला. इसके साथ ही राम चबूतरा और सीता रसोई का हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को मिला. तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिला था. जिसके बाद इस फैसले के खिलाफ सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट चले गए.
पिछले 7 साल से ये मामला कोर्ट में लटका है
पिछले 7 साल से ये मामला कोर्ट में लटका है. इस साल 31 मार्च को राम मंदिर मुद्दे की जल्द सुनवाई के लिए बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी सुप्रीम कोर्ट गए थे. लेकिन कोर्ट ने जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया था.
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