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सुप्रीम कोर्ट ने पलटा आदेश, चारा घोटाले में लालू पर चलेगा साजिश का मुकदमा

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चारा घोटाले में आरोपी राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से ब़़डा झटका लगा है।

नई दिल्ली। चारा घोटाले में आरोपी राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से ब़़डा झटका लगा है। अदालत ने देवघर कोषागार से गैरकानूनी ढंग से पैसा निकालने के एक मामले में उन पर अलग से मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में लालू पर भ्रष्टाचार, साजिश और अन्य गंभीर धाराओं वाले आरोप निरस्त करने का झारखंड हाई कोर्ट का आदेश खारिज कर दिया है। इसके साथ ही ट्रायल कोर्ट को 9 महीने में सुनवाई पूरा करने का आदेश दिया है। अपील दाखिल करने में देरी पर शीर्ष अदालत ने सीबीआई को फटकार भी लगाई है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का असर लालू के खिलाफ लंबित चारा घोटाले के चार अन्य मामलों पर भी प़़ड सकता है, जिनमें वे आरोपमुक्त होने की उम्मीद लगाए बैठे थे।

सोमवार को यह आदेश जस्टिस अरुण मिश्रा और अमिताव रॉय की खंडपीठ ने झारखंड हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर दिया। इससे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र और पूर्व नौकरशाह सजल चक्रवर्ती को भी झटका लगा है। लालू के साथ इन दोनों पर भी मुकदमा चलेगा। कोर्ट ने इनके खिलाफ आरोप रद्द करने को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका भी स्वीकार कर ली है।
हाई कोर्ट के आदेश को ठहराया गलत 
खंडपीठ ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश स्पष्ट रूप से गलत, गैरकानूनी और कानून के मूल सिद्धांत के खिलाफ है। जज ने अभियुक्त को अनुचित लाभ देते हुए और मामले में वषर्षो की देरी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के कई बाध्यकारी फैसलों की अनदेखी की है।

अलग अपराध के लिए अलग ट्रायल
--सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोषषागार से हर बार की अवैध निकासी अलग अपराध माना जाएगा। उसे अनुच्छेद 20 ([2)] या सीआरपीसी की धारा ३०० का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता।
--ऐसे मामलों में अलग--अलग ट्रायल ही कानून की मंशा है। साजिश हर मामले में कॉमन हो सकती है, लेकिन हर बार अपराध अलग है। अलग अपराध का अलग दंड होता है।
--एक बार साजिश हुई थी, जो कि लगातार अन्य अपराधों में भी चलती रही। इस मामले का अलग से ही ट्रायल होगा। इसे अभियुक्तों के साथ दोहरा जोखिम नहीं कहा जा सकता।
यह है मामला
झारखंड हाई कोर्ट ने 14 नवंबर 2014 को चारा घोटाले के एक मामले में लालू प्रसाद के खिलाफ कई धाराओं के आरोप रद्द कर दिए थे। हाई कोर्ट ने कहा था कि एफआईआर संख्या 20ए--1996 ([इस मामले में लालू को निचली अदालत से सजा हो चुकी है)] में इन्हीं धाराओं में मुकदमा चल चुका है इसलिए दोबारा मुकदमा नहीं चल सकता। हाई कोर्ट ने सिर्फ सबूत नष्ट करने की कोशिश में ही मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी। हाई कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 300 को आधार बनाते हुए यह आदेश दिया था, जो कहती है कि एक ही आरोप पर दो मामले नहीं चल सकते।
लालू का साथ नहीं छो़डेंगे नीतीश: सुशील
वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के संदर्भ में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा है। उनसे सवाल पूछा था कि लालू का साथ नीतीश छो़़ड दें तो क्या भाजपा उनका समर्थन करेगी, मोदी ने कहा-- नीतीश दरअसल मुकदमों में फंसे 'कमजोर' लालू का साथ पसंद करेंगे। लालू कमजोर रहेंगे तो नीतीश के लिए सरकार चलाना आसान होगा। लालू के बेटे घुटने टेककर नीतीश के सामने रहेंगे।
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