
# सावन माह में झारखंड के देवघर के बाबा बैद्यनाथधाम के दर्शन करना फलदायी माना जाता है। यहां पर खास कर सोमवार के दिन बेलपत्र चढा़ना काफी शुभ होता है। इसीलिए इस दिन मंदिर परिसर में दुर्लभ प्रजाति के बेलपत्रों की अद्भुत प्रदर्शनी लगती है। आइए जानें बेलपत्रों की प्रदर्शनी इस प्रदर्शनी के बारे में...
यह भी पढ़े ➩
➩
➩
➩
➩
लाखों भक्तों की भीड़ -
# 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथधाम के मंदिर में पूरे सावन भक्त आते हैं, लेकिन सोमवार के दिन यहां कुछ ज्यादा ही भीड़ रहती है। यहां प्रतिदिन बहुत सारे श्रद्धालु आते हैं परंतु सावन महीने में भोलेनाथ के दर्शनों हेतु लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मंदिर में कांवड़ भी चढाई जाती है। भक्त करीब 105 किलोमीटर दूर सुल्तानगंज की उत्तर वाहिनी गंगा से जल भरकर यहां लाते हैं।
# 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथधाम के मंदिर में पूरे सावन भक्त आते हैं, लेकिन सोमवार के दिन यहां कुछ ज्यादा ही भीड़ रहती है। यहां प्रतिदिन बहुत सारे श्रद्धालु आते हैं परंतु सावन महीने में भोलेनाथ के दर्शनों हेतु लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मंदिर में कांवड़ भी चढाई जाती है। भक्त करीब 105 किलोमीटर दूर सुल्तानगंज की उत्तर वाहिनी गंगा से जल भरकर यहां लाते हैं।

यह भी पढ़े ➩
➩
➩
बेलपत्र चढ़ाना शुभ -
# इतना ही नहीं भोलेनाथ के द्वादश ज्योतिर्लिगों में नौवें स्थान पर विराजे बाबा बैद्यनाथधाम के दर्शन कर उन पर बेलपत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है। जिससे यहां पर रविवार से ही तैयारी होने लगती है और सोमवार को काफी बड़ी बेलपत्र प्रदर्शनी लगती है। मंदिर परिसर में लगने वाली अद्भुत प्रदर्शनी देखने के लिए हजारों श्रद्धालु इकठ्ठे होते हैं। यहां पर एक नहीं तमाम तरीके के बेलपत्र होते है।
# इतना ही नहीं भोलेनाथ के द्वादश ज्योतिर्लिगों में नौवें स्थान पर विराजे बाबा बैद्यनाथधाम के दर्शन कर उन पर बेलपत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है। जिससे यहां पर रविवार से ही तैयारी होने लगती है और सोमवार को काफी बड़ी बेलपत्र प्रदर्शनी लगती है। मंदिर परिसर में लगने वाली अद्भुत प्रदर्शनी देखने के लिए हजारों श्रद्धालु इकठ्ठे होते हैं। यहां पर एक नहीं तमाम तरीके के बेलपत्र होते है।

यह भी पढ़े ➩
➩
➩
पुरस्कार दिया जाता -
# यहां पर सजने वाले बेलपत्रों की खोज जंगलों में पुजारी समाज द्वारा ही की जाती है। बेलपत्रों को चांदी के थाल पर चिपका कर मंदिर में चढ़ाया जाता है। इसके बाद उन्हें ही प्रदर्शनी में रखा जाता है। इस दौरान जो बेलपत्र सबसे अलग होता है उसे अलग निकाला जाता है। इसके बाद बुजुर्ग पुरोहितों द्वारा अंतिम सोमवार को अनोखे बेलपत्र लाने वालों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है।
यह भी पढ़े ➩
➩
➩
# यहां पर सजने वाले बेलपत्रों की खोज जंगलों में पुजारी समाज द्वारा ही की जाती है। बेलपत्रों को चांदी के थाल पर चिपका कर मंदिर में चढ़ाया जाता है। इसके बाद उन्हें ही प्रदर्शनी में रखा जाता है। इस दौरान जो बेलपत्र सबसे अलग होता है उसे अलग निकाला जाता है। इसके बाद बुजुर्ग पुरोहितों द्वारा अंतिम सोमवार को अनोखे बेलपत्र लाने वालों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है।
यह भी पढ़े ➩
➩
➩
Like Our Facebook Fan Page
Subscribe For Free Email Updates
0 comments: