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घर और कार्य स्थान में न रखें लक्ष्मी जी की ऐसी फोटो - हो सकते हैं कंगाल...

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# लक्ष्मी प्राप्ति की इच्छा करने वाला हर जातक, अपने घर अथवा कार्य स्थान पर उनका चित्रपट अथवा स्वरूप विराजित कर उनका पूजन करता है। क्या आप जानते हैं देवी लक्ष्मी को स्थापित करने से पहले कुछ खास बातों की जानकारी होना अवश्य है अन्यथा हो सकते हैं कंगाल-

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# शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी का वाहन निशाचर उल्लू है। ऊल्लू रात के समय अत्यधिक क्रियाशील होता है। जब लक्ष्मी एकांत, सूने स्थान, अंधेरे, खंडहर, पाताल लोक आदि स्थानों पर जाती हैं, तब वह उल्लू पर सवार होती हैं, तब उन्हें उलूक वाहिनी कहा जाता है। उल्लू पर विराजमान लक्ष्मी अप्रत्यक्ष धन अर्थात काला धन कमाने वाले व्यक्तियों के घरों में उल्लू पर सवार होकर जाती हैं।
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# लक्ष्मी माता के ऐसे स्वरूप का पूजन न करें, जिस पर वो उल्लू की सवारी कर रही हों। उनके इस रूप के पूजन से धन आगमन के सभी रास्ते बंद होने लगते हैं। अगर कहीं से धन आ भी जाए तो वो टिकता नहीं, खर्च हो जाता है।
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# श्री हरि विष्णु और देवी लक्ष्मी गरूड़ पर सवार हों, ऐसे स्वरूप को घर में रखने से कभी भी आर्थिक अभाव का सामना नहीं करना पड़ता। प्रतिदिन विधि-विधान से इस रूप का पूजन करने से घर में श्री जी सदा वास करती हैं।
# लक्ष्मी जी के आठ स्वरूप हैं, उनके किसी भी स्वरूप को घर में स्थान दे सकते हैं। गृहस्थ लोगों के लिए बैठी लक्ष्मी समृद्धि-संपन्नता की प्रतीक हैं, कार्य स्थानों पर खड़ी लक्ष्मी का पूजन करने से दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक्की होती है।
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# देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए महालक्ष्मी का ऐसा स्वरूप विराजित करें, जिसमें वो श्री हरि विष्णु के चरण दबा रही हों।
# महालक्ष्मी के साथ ही धन के देवता कुबेर देव को पूजने से पैसों से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसी वजह से किसी भी देवी-देवता के पूजन के साथ ही इनका भी पूजन करना बहुत लाभदायक होता है। यदि अपने कर्तव्यों का निष्ठा से पालन करते हुए श्री कुबेर की उपासना की जाए और कुबेर यंत्र पूजा घर में स्थापित किया जाए तो वे निश्चित प्रसन्न होकर व्यापार वृद्धि, धन वृद्धि, ऐश्वर्य, लक्ष्मी कृपा प्रदान कर घर में सुख-समृद्धि एवं सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं।
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