
क्या प्रशांत किशोर और कांग्रेस के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कांग्रेस के कई बड़े नेता प्रशांत किशोर के काम करने के तरीके से खासे नाराज है. चर्चा है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और कांग्रेस पार्टी का साथ कभी भी खत्म हो सकता है. हालांकि कांग्रेस औऱ पीके यानि प्रशांत किशोर के करीबी सूत्र दोनों इस बात से इन्कार कर रहे हैं.
प्रशांत किशोर को लेकर कांग्रेस में विरोध-सूत्र
दरअसल इन चर्चाओं की वजह कांग्रेस में प्रशांत किशोर को लेकर अंदर ही अंदर मुखर होता विरोध है. कांग्रेस के कई बड़े छोटे नेता शुरू से ही प्रशांत किशोर के काम करने के तरीके से नाखुश रहे हैं. उन पर उत्तर प्रदेश हो या पंजाब दोनों जगहों पर स्थानीय नेताओं और कांग्रेस के बड़े नेताओं की अनदेखी करने का आरोप लगाते रहे हैं.
मुलायम-प्रशांत की मुलाकात के बाद बिगड़ा मामला !
ज्यादा मामला बिगड़ा है प्रशांत किशोर और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की मुलाकात के बाद. प्रशांत किशोर ने उत्तर प्रदेश में तालमेल की गुंजाइश तलाशने के लिए समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से दिल्ली में मुलाकात की. बताया जा रहा है मुलाकात से उत्तर प्रदेश के पार्टी महासचिव गुलाम नबी आजाद हो से लेकर प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर तक सभी नेता आग बबूला हो उठे. उन्हें इस बात पर आपत्ति है कि प्रशांत किशोर बिना उनसे बात किए या भरोसे में लिए मुलायम सिंह यादव से मुलाकात क्यों की. प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने तो एबीपी न्यूज से खास बातचीत में साफ तौर पर कह दिया कि प्रशांत किशोर बहुत कुशल रणनीतीकार हैं पर किसी अन्य दल से बात करने के लिए पार्टी नेतृत्व ने अधिकृत नहीं किया है.
प्रियंका के नाम को लेकर सोनिया ने प्रशांत को लगाई थी फटकार !
प्रशांत किशोर को कांग्रेस की रणनीति का काम खुद राहुल गांधी ने सौंपा था. उनके ही कहने पर पार्टी की राज्य इकाई को पूरी तरह से बदल दिया गया था. कांग्रेस नेता प्रशांत किशोर और उनकी टीम पर कांग्रेस के स्थानीय ही नहीं बल्कि बड़े से बड़े नेताओं की अनदेखी का आरोप लगाते रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी ने प्रशांत किशोर को यूपी की राजनीति की रणनीति बनाते हुए प्रियंका गांधी वाड्रावाड्रा का बार बार नाम लेने पर फटकार लगायी थी.
कांग्रेस, किशोर की तरफ से किए जा रहे खर्चे से परेशान !
हालांकि समस्या यहीं नहीं है, सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस प्रशांत किशोर की तरफ से उत्तर प्रदेश और पंजाब में खर्च किया जा रहा रकम से भी परेशान है. सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी की किसान यात्रा और खाट पंचायत के खर्चे का जो ब्योरा और रकम प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को दिया उसे पार्टी ने पूरा नहीं माना है. यह बात प्रशांत किशोर को पसंद नहीं आई.
कांग्रेस से ज्यादा पैसा मांगती है पीके की टीम !
उधर कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पीके ने दोनों राज्यों में प्रचार के लिए जितनी रकम मांगी है, उतनी कांग्रेस दोनों राज्य में खर्च नहीं कर रही है. कई जगहों पर कांग्रेस सूत्रों का तर्क है कि खर्चा खुद कांग्रेस पार्टी को करना होता है, वहां भी पीके की टीम खुद कोई आयोजन बदल कर बदले में पैसा मांगती है, जो कि फिलहाल मुश्किल घड़ी से गुजर रही कांग्रेस पूरा नहीं कर सकती.
कांग्रेस से ज्यादा अपने प्रचार में लगी है पीके की टीम!
यही नहीं आरोप ये भी है कि पीके और उनकी टीम कांग्रेस से ज्यादा अपने प्रचार में लगी है. यही वजह है कि पंजाब में चुनावी पोस्टरों में कई जगह कांग्रेस से बड़ा चिन्ह पीके की कंपनी आईपीएसी का नजर आ रहा है. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने पीके के साथ दिक्कतों या उनके कांग्रेस का दामन छोड़ने की खबरों को मीडिया की अटकलबाजी करार दिया है. उधर पीके के करीबी सूत्रों ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ने की खबरों को गलत बताया है.
प्रशांत किशोर के काम काज के तरीकों से खुश नहीं कांग्रेस नेता !
हालांकि हाल में दिल्ली में गुरूद्वारा रक्काबगंज रोड स्थित कांग्रेस के वार रूम में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ बैठक में भी कुछ नेताओं ने सीधे प्रियंका गांधी वाड्रा से कह दिया कि वो प्रशांत किशोर के काम काज के तरीकों से खुश नहीं है. क्योंकि वो और उनकी पूरी टीम स्थानिय और बड़े नेताओं की अनदेखी करते हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस प्रशांत किशोर का दामन छोड़ रहे मगर पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी और उत्तर प्रदेश में चुनावी अभियान में अहम भूमिका निभा रही प्रियंका संगठन और प्रशांत किशोर के बीच बनी खाई को पाट पाती है या नहीं.
हालांकि दोनों ही पक्षों इससे मना कर रहे हैं. लेकिन कांग्रेस के अंदर से प्रशांत किशोर को लेकर जिस तरह से विरोध की बातें आती रही है उससे ये सवाल उटने तो लाजिमी है कि क्या कांग्रेस औऱ पीके के बीच सबकुछ ठीक नही चल रहा है.
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