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हिन्दुओं को सीख देने वाली बिकाऊ मीडिया कल 200 लाख करोड़ के ख़ात्मे पर क्यूँ है ख़ामोश ?


आपको जैसा कि पता ही है कल क्रिसमस का त्योहार था और पूरी दुनिया में इसको बड़ी धूमधाम से मनाया गया । केवल मनाया ही नहीं गया बल्कि एक रात में पूरी दुनिया में 200 लाख करोड़ रुपए फूँक दिए गए । 200 लाख करोड़ कितने होते हैं ये केवल इस बात से आपको पता चल जाएगा कि भारत में कुल नोट जो चलन में हैं वे 16-17 लाख करोड़ रुपए हैं , इतने ही नोटों से भारत की सारी आबादी का गुज़ारा होता है ।


और अब नोटबंदी के बाद तो इसमें से भी 7-8 लाख करोड़ रुपए अभी पूरी तरह चलन में नहीं आए हैं यानी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश लगभग 15-16 लाख करोड़ में गुज़ारा करता है और क्रिसमस पर एक दिन में 200 लाख करोड़ ख़र्च कर दिए जाते हैं किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता । पर हमें मीडिया के दोगलेपन पर बड़ी हैरानी होती है कोई कुछ नहीं बोला , किसी ने कोई बात नहीं ये नीचे दिए गए आकड़ें कुछ सवाल पैदा करते हैं , कुछ गंभीर सवाल ।
  • एक दिन में दुनिया के 120 देशों में 200 लाख करोड़ ख़र्च कर दिए गए लेकिन बिकाऊ मीडिया जो हर होली , दिवाली और गणेश चतुर्थी पर ज्ञान देती है ने बिलकुल नहीं बताया कि इतने पैसों से कितने देशों की और पूरी दुनिया के एक एक आदमी की ग़रीबी ख़त्म की जा सकती है ।
  • पूरी दुनिया में केवल एक क्रिसमस के मौक़े पर एक अनुमान के अनुसार 2 लाख 15 हज़ार करोड़ की आतिशबाज़ी चलायी गयी लेकिन कहीं भी , किसी भी बिकाऊ मीडिया वाले ने ये नहीं बताया कि इससे कितना प्रदूषण हुआ , कितने लोग धुएँ से मरे , कितने लोगों की मौत हुई , कितने लोग जले कहीं कोई रिपोर्ट नहीं ? इससे बड़ा दोगलपन आपने देखा क्या ?
  • पूरी दुनिया में अरबों रुपए की बिजली एक दिन में ख़त्म कर दी गयी ,अकेले सिंगापूर में साढ़े आठ लाख बल्ब जलाए गए थे।  दिवाली के दिन अपने अपने घरों पर लड़ियाँ और दिए जलाते हिन्दुओं के दियों में पैसे की बर्बादी खोज लेने वाली नीच बिकाऊ मीडिया ने ना कोई रिपोर्ट दी ना कोई सर्वे किया , क्यूँ ?
  • कोई भी NGO , बुधिजीवी , पर्यावरण प्रेमी , प्रदूषण के दुश्प्र्भाओं पर काम करने वाला इस मौक़े पर सामने नहीं आया, किसी भी चैनल ने अख़बार ने कोई रिपोर्ट नहीं दिखायी। बता दें की कल क्रिसमस के लिए जो 200 लाख करोड़ रुपए ख़र्च किए गए उनसे पूरी दुनिया का प्रदूषण मिटाया जा सकता था, पूरी दुनिया के हर भूखे को रोटी दी जा सकती थी । पूरी दुनिया के हर बेघर को छत दी जा सकती थी लेकिन अब कोई नहीं बोलेगा , कोई सवाल नहीं उठाएगा , कोई ज्ञान नहीं देगा , कोई ग्रीन और बिना लाइट का क्रिसमस मनाने की वकालत नहीं करेगा , कोई पेड़ काटकर सजाने को पर्यावरण के ख़िलाफ़ नहीं बताएगा क्यूँकि ये कोई हिन्दुओं का त्योहार थोड़ी है जो ज्ञान पेला जाए ।
ईद पर कटते करोड़ों जानवर , क्रिसमस पर फूंके जाते 200 लाख करोड़ रुपए  , कटते लाखों पेड़ , जलायी जाने वाली आतिशबाज़ी तो ख़ुशी और परम्परा है लेकिन होली मनाना , दिवाली पर आतिशबाज़ी और दिए जलाना , गणेश चतुर्थी मानना ये सब अपराध हैं  क्यूँ बिकाऊ मीडिया ? क्यूँ तथाकथित बुधिजीवियों ? कोई जवाब है किसी के पास  ?
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