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रामायण के लिए छोड़ दी अंग्रेजी, 2 वर्षों में सीखी हिंदी और बन गए सनातनी हिन्दू



वर्ल्ड रामायण कांफ्रेंस में शामिल होने आए ढेरों विदेशियों ने रामायण संबंधित अपने अपने विचार साँझा किये। उन्होंने रामायण और हिन्दू धर्म से जुड़ाव होने के लिए अपने अपने जीवन की घटनाएँ बताई। 

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ हवॉई में धर्म विभाग के प्रोफेसर रामदास ने बताया कि उनके गुरु ने दो वर्ष तक अंग्रेजी न बोलने का संकल्प दिला दिया। उन्होंने उस दौरान हिंदी सीखी। दो वर्ष तक लगातार अभ्यास के बाद हिंदी में ही बात करता हैं। 


उन्होंने बताया कि उनकी मां काफी गरीब थीं, जो दूसरों के घरों में सफाई करने जाया करतीं थीं। वहां से वें पुस्तकें लेकर आती थीं। बस एक बार भारतीय पुस्तक लेकर आईं, जिसे पढ़कर भारत आने का मन हुआ। 20 साल की उम्र में वे पहली बार भारत आए। 22 वर्ष की उम्र में दूसरी बार भारत आना हुआ। 

जहाँ चित्रकूट में मानस महाआरती त्यागी महाराज के सानिध्य में दीक्षा ले हिन्दू धर्म अपना लिया। इन्होने खोजा भारत के मंदिरों का इतिहास अमेरिका के डॉ. स्टीफन कनाप को हर विषय की गहराई में जाना अच्छा लगता है। 1973-74 में रामायण के बारे में उन्हें जानकारी मिली, जिसे पढ़ा और इसकी खोज में भारत आए। यहां रामायण के संबंध में उन्होंने काफी खोज की। 


अनेक किताबें लिख चुके डॉ. स्टीफन अनुसार उन्होंने भारत के मंदिरों के इतिहास की खोज कर उन पर अनेक पुस्तकें लिखी हैं। यहाँ की प्राइमरी शिक्षा में शामिल रामायण बैंकाक की सिल्पाकॉर्न यूनिवर्सिटी के एसोसिएटेड प्रोफेसर बूंमरूग खाम-ए का कहना है कि थाईलैंड में रामायण लिटरेचर की तरह स्कूल और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल है। 


यूनिवर्सिटी के खोन (नाट्य) विभाग के छात्र रामलीला को सबसे अधिक पसंद करते हैं। रामायण को थाईलैंड में रामाकेन और रामाकृति बोलते हैं। वाल्मीकि रामायण से मिलती जुलती रामाकेन में थाई कल्चर का समावेश है। यहीं नहीं यूनिवर्सिटी के अनेक विद्यार्थी रामायण पर पीएचडी कर रहे हैं। इसमें से कुछ वर्ल्ड रामायण कांफ्रेंस में शामिल होने जबलपुर आए हैं। 

इनकी टीम अमेरिका में करती है रामलीला महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट पेयरफिल्ड, लोवा यूएसए के प्रोफसर माइकल स्टार्नफिल्ड ने कहा कि 25 साल पहले यूनिवर्सिटी में अचानक महर्षि वाल्मीकि की तस्वीर में उन्हें अपने पिता की सूरत नजर आई। महर्षि के बारे में जानकारी एकत्रित की और वाल्मीकि रामायण पढ़ी तभी से रामायण का दीवाना हो गया। 

अमेरिका में उनकी 400 लोगों की एक टीम है, जिसमें बच्चे, युवा व बुजुर्ग शामिल हैं, जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित रामलीला करते हैं। सबकी ड्रेस भारतीय रामलीला से मिलती जुलती है। ये हिंदी प्रेमी हैं थाईलैंड से आईं हिंदी प्रेमी चारिया धर्माबून पढ़ाई के दौरान भगवान श्री राम के चरित्र से प्रभावित होकर रामायण पर पीएचडी कर रहीं हैं। 



इस दौरान उन्होंने अपने हिंदी प्रेम को टीशर्ट पर ‘हम हिंदी प्रेमी हैं’ के रूप में भी लिखा रखा है। इस जगह की रामायण में हनुमानजी ब्रह्मचारी नहीं प्रोफेसर बंमरूग खाम-ए का कहना है कि भारत की वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी को ब्रह्मचारी बताया गया है। वहीं थाईलैंड की रामायण (रामाकेन) में हनुमानजी की पत्नी और पुत्र का उल्लेख है।

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