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अकेली मुस्लिम महिला बनीं 6 करोड़ बेजुबानों की जुबान, अब मोदी सरकार भी खड़ी इनके साथ !



आइये एक बार आज फिर याद कर लें उस समय को जिसकी वजह से आज हम खुली सांस लेकर अपने फैसले खुद कर पा रहे है 15 अगस्त 1947 का वो दिन जब भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर पुन: स्थापित हुआ था और 26 जनवरी 1950 जब भारत एक लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना था जिसने अपने सभी नागरिको को 7 मौलिक अधिकार प्रदान किए थे हालंकि अब 6 मौलिक अधिकार कर दिए गए है क्यूंकि संपति के अधिकार को कानून के रूप में मान्यता प्रदान की गयी है न की मौलिक अधिकार के रूप में . इन अधिकारों के मिलने से भारतीय नागरिको को समानता और स्वतन्त्रता के अधिकार भी प्राप्त हो गए थे .



जब भारत में सभी को एक समान समानता का अधिकार मिल गया तो पुरुष और स्त्री दोनों एक समान माने जाने लगे इसी दौरान एक धार्मिक समुदाय के विशेष ठेकेदारों को ये लगा कि महिलाएं कैसे पुरुषो की बराबरी कर सकती है जिसके बाद धर्म की आड़ लेकर शरीयत कानून ने मुस्लिम महिलाओं के अधिकार उनसे छीन लिए गए और साथ में धार्मिक स्वतंत्रता की आजादी की आड़ में महिलाओं पर बहुत से जुल्म भी किए गए .
उस समय भारत पर कांग्रेस का राज था इसलिए इन मुस्लिम महिलाओं के दर्द की सिसकियाँ तक नेहरु से लेकर इंदिरा गांधी तक नही पहुँच पाई थी और न ही मुस्लिम महिलाएं उन पर हो रहे जुल्म के लिए अदालत जा सकती थी क्यूंकि शरीयत ने उनके इस अधिकार को भी छीन लिया था .उस समय उन महिलाओं की स्थिति कुछ ऐसी थी .
इस जहाँ में तन्हाई ही तन्हाई है मेरी खातिर  !
ए खुदा तू क्यों नही होता कभी मुझसे मुखातिब  !!
आपको बता दें कि उतराखंड की रहने वाली शाह बानो को उसके पति ने एक साथ 3 तलाक दे डाले इसके बावजूद भी शाह बानो कमजोर नही पड़ी और अपने हक व् न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया .
आपको जानकार और भी हैरानी होगी कि शाह बानो पहली मुस्लिम महिला है जिसने ट्रिपल तलाक के लिए आवाज उठाई है और इसको खत्म करने की अपील भी की है .
शाह बानो के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को अपना पक्ष अदालत में रखने का आदेश दिया जिसमे मोदी सरकार ने पूरी दृढ़ता के साथ मुस्लिम महिलाओ के मौलिक अधिकारों की रक्षा की बात करते हुए कहा है ” ऐसा कोई भी धार्मिक कानून जो किसी भी व्यक्ति के मौलिक का हनन करता है वः गैर कानूनी है “.
जहाँ बरसों पहले शाह बानो के साथ इंसाफ नही हो पाया था क्यूंकि उस समय मुल्ला-मौलवियों के आगे बेबस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को लाचार बना दिया था लेकिन अब सरकार मोदी जी की है तो फिर शाह बानो को तो न्याय मिलना ही चाहिए .
शाह बानो उन सभी बेजुबान महिलाओं की आवाज है जो अब तक दबी हुई है लेकिन मोदी सरकार द्वारा इनके लिए पहली बार न्याय देने के आसार नज़र आ रहे है जो आज तक किसी ने नही किया था वह अब मोदी सरकार करने वाली है .
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