
इसीलिए पूजा को पूरा फल प्राप्त करने के लिए हमें ऐसे नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। ऐसा ही एक नियम है मंदिर में या पूजा स्थल पर जहां भगवान की प्रतिमा स्थापित की गई हो उस और पीठ करके नहीं बैठना चाहिए।
कहते हैं ऐसी जगह पर विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि हमारी पीठ भगवान की ओर न हो। इसे शुभ नहीं माना जाता है। मंदिर में कई दैवीय शक्तियां का वास होता है और वहां सकारात्मक ऊर्जा हमेशा सक्रीय रहती है।
यह शक्ति या ऊर्जा देवालय में आने वाले हर व्यक्ति के लिए होती है। यह हम पर ही निर्भर करता है कि हम वह शक्ति कितनी ग्रहण कर पाते हैं। इन सभी शक्तियों का केंद्र भगवान की प्रतिमा ही होती है जहां से यह सभी सकारात्मक ऊर्जा संचारित होती रहती है।
यदि हम भगवान की प्रतिमा की ओर पीठ करके बैठ जाते हैं तो यह शक्ति हमें प्राप्त नहीं हो पाती। इस ऊर्जा को ग्रहण करने के लिए हमारा मुख भी भगवान की ओर होना आवश्यक है। भगवान की ओर पीठ करके नहीं बैठना चाहिए इसका धार्मिक कारण भी है। ईश्वर को पीठ दिखाने का अर्थ है उनका निरादर।
भगवान की ओर पीठ करके बैठने से भगवान का अपमान माना जाता है। इसी वजह से ऋषिमुनियों और विद्वानों द्वारा बताया गया है कि हमारा मुख भगवान के सामने होना चाहिए, पीठ नहीं।
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