
दरअसल दिवाली के छठे दिन यहाँ फुटवियर फेस्टिवल का आयोजन होता है,जिसमें अलग-अलग गांवों से लोग चप्पल चढ़ाने आते हैं. इस फेस्टिवल में मंदिर के बहार चप्पलों की दुकानें लगती है. मान्यता है कि लोग मन्नत माँगने के लिए मंदिर के बाहर लगे पेड़ पर चप्पलें टांगते हैं. लोगों का मानना है कि रात में माँ उनकी चढ़ाई हुई चप्पलों को पहन कर घूमती है और उनकी रक्षा करती है. इस मंदिर में आज भी लोग देवी की पीठ की पूजा करते है. कहा जाता है कि पहले कहा बैलों की बलि दी जाती थी लेकिन जबसे जानवरों की बलि पर रोक लग गयी है तबसे ये चप्पल चढ़ाने की परम्परा चालू हो गयी है.
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