
महाद्वीप अंटार्कटिका बहने वाले पानी का रंग है खुनके जैसा
यही कारण है कि इस वाटरफॉल को ब्लड फॉल नाम से भी जाना जाता है। यकीन मानिए यहां बहने वाले पानी का रंग खून के जैसा गाढ़ा लाल है। सबसे पहले 1911 में अमरीकी जीव विज्ञानी ग्रिफिथ टॉयलर ने इसकी खोज की थी। जैसा की आपको बता दें कि यह ब्लड फॉल कम से कम पांच मंजिला इमारत इतना ऊंचा है।
पानी में आयरन ऑक्साइड के कारण से रंग बदल जाता है
जीव विज्ञानियों के अनुसार, ग्लेशियर के नीचे बहने वाली झील जम गई और ग्लेशियर में दरार पड़ने से बाहर आने लगा। पानी में मौजूद आयरन ऑक्साइड हवा के संपर्क में आकर लाल रंग का हो जाता है। जिससे पानी का रंग खून जैसा दिखता है। वहीं लोगों का मानना है कि यहां कई आत्माओं का निवास है, जो लोगों को मार देती है, इसी वजह से इसका रंग लाल है।
यही कारण है कि इस वाटरफॉल को ब्लड फॉल नाम से भी जाना जाता है। यकीन मानिए यहां बहने वाले पानी का रंग खून के जैसा गाढ़ा लाल है। सबसे पहले 1911 में अमरीकी जीव विज्ञानी ग्रिफिथ टॉयलर ने इसकी खोज की थी। जैसा की आपको बता दें कि यह ब्लड फॉल कम से कम पांच मंजिला इमारत इतना ऊंचा है।
पानी में आयरन ऑक्साइड के कारण से रंग बदल जाता है
जीव विज्ञानियों के अनुसार, ग्लेशियर के नीचे बहने वाली झील जम गई और ग्लेशियर में दरार पड़ने से बाहर आने लगा। पानी में मौजूद आयरन ऑक्साइड हवा के संपर्क में आकर लाल रंग का हो जाता है। जिससे पानी का रंग खून जैसा दिखता है। वहीं लोगों का मानना है कि यहां कई आत्माओं का निवास है, जो लोगों को मार देती है, इसी वजह से इसका रंग लाल है।
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