क्या हम एक सेक्युलर देश में रहते हैं ? क्या १९४७ में धर्म के आधार पर विभाजित हुआ ये देश जिसमें से मुसलमानों ने अपना हिस्सा देश का बँटवारा करके ले लिया था क्या अब हिन्दुओं के लिए नहीं रहा ? क्या नैतिक और सैधान्तिक दृष्टि से केवल हिन्दुओं का देश जो उस समय के नेताओं ने धर्म के आधार पर विभाजन के बावजूद सेक्युलर स्टेट बना दिया था , अब सेक्युलर स्टेट भी रह गया है या नहीं ?
लगता तो ऐसा ही है क्यूँकि इस्लामिक कट्टर पंथियों पर शायद इस देश का क़ानून काम ही नहीं करता ना ही वे भारत के क़ानून को मानते हैं । अब एक ऐसा सनसनीख़ेज़ मामला UP से आया है जो देश के सारे हिन्दुओं के पैरों के तले ज़मीन निकाल देने के लिए काफ़ी है । पहले ये फ़ोटो देखें ।
आपने देख लिया और आपके समझ भी आ गया होगा , ये उमीदवार जो MLA बनने के लिए चुनाव लड़ रहा है चाहता है कि भारत में इस्लाम की हुकूमत हो और बाक़ी सभी दोयम दर्जे के नागरिक बन जाएँ । और इसके लिए एक सेक्युलर देश में इसने धर्म पर आधारित पार्टी बना ली है और ये उस पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव होने का दावा करता है ।
इसको इस बात से देश के किसी क़ानून या किसी और का बिलकुल डर नहीं है , ये सरे आम पोस्टर लगाकर इस्लाम की हुकूमत की बातें कर रहा है । हिन्दुओं के लिए ऐसी स्थिति देखना निश्चित रूप से काफ़ी भयावह है लेकिन हिन्दुओं के साथ समस्या ये है कि वे तब तक इंतज़ार करते हैं जब तक स्थिति भागने पर मजबूर नहीं कर देती और जब ऐसा होता है तो कश्मीर घाटी और कैराना की तरह भाग खड़े होते हैं
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