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1 दंगे से मोदी "मौत के सौदेगार" हो गए, तो सैंकड़ो दंगो के बाद भी कांग्रेस सेक्युलर कैसे है ?


कानून स्थापित करना राज्य सरकार का मसला है 
और गुजरात में दंगा हुआ, और वो दंगा भी कांग्रेस समर्थित जिहादियों ने गोधरा में हिन्दुओ को जलाकर शुरू किया 

कांग्रेस ने इसके लिए नरेन्द्र मोदी को "मौत का सौदागर" बताया 


अन्य सेक्युलर दलों ने भी नरेन्द्र मोदी को खुनी, मुसलमानों का हत्यारा इत्यादि बताया 
बीजेपी को और हिंदुओ को सांप्रदायिक बताया 

यानि 1 दंगे जो की मुस्लिमो द्वारा ही शुरू किये गए, उसके कारण मोदी मौत के सौदागर बन गए 

पर हमारे समझ में ये नहीं आ रहा की, सैंकड़ो दंगो के बाद भी कांग्रेस और अन्य सेक्युलर पार्टियां सेक्युलर कैसे बनी हुई है, मीडिया और बुद्धिजीवी इन पार्टियों को सेक्युलर कैसे मानते है 

1969 अहमदाबाद हो, 1970 जलगांव हो, 1980 मोरादाबाद हो, 1989 भागलपुर हो 
1984 दिल्ली सिख विरोधी दंगा हो, 1990 हैदराबाद हो, मुज़फ्फरनगर हो  

सभी दंगे कांग्रेस और सेक्युलर दलों ने शुरू किये, और मुसलमानों और हिन्दुओ दोनों को मरवाया 
इन सभी दंगों में कांग्रेस और अन्य सेक्युलर दलों की राज्य सरकार रही 
इतने दंगो के बाद भी ये पार्टियां सेक्युलर कैसे बनी हुई है, 1 दंगे से मोदी मौत के सौदागर हो जाते है 
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पर सैंकड़ो दंगो के बाद भी कांग्रेस सेक्युलर कहलाती है 

हिन्दू सांप्रदायिक कहलाते है और जिहादी शांतिप्रिय शांतिदूत कहलाते है 
1 भी दंगा हिन्दुओ ने शुरू नहीं किया फिर भी हिन्दू सांप्रदायिक कहलाता है, ये गहन शोध का विषय है 

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