
बचपन में मेरी दादी राजा-महाराजा और गुफाओं में छुपे खज़ाने की कहानियां सुनाया करती थीं. वैसे खज़ानों के बारे में बचपन में आपने भी कई कहानियां सुनी होंगी. लेकिन ऐसी बात नहीं है कि खज़ाने की कहानी सिर्फ़ कहानियों में ही होती है. ब्रिटिश शासन काल से पहले भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था. पर इतनी सारी विदेशी लूट-पाट के बावजूद भी भारत में ऐसी कई जगहें हैं, जहां पर सच में वर्षों से खज़ाने पड़े हैं, लेकिन उन खज़ानों का रहस्य अभी तक कोई नहीं जान पाया है. बहरहाल, आज हम आपको कोई कहानी नहीं सुनाने जा रहे हैं, बल्कि असली खज़ानों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें अगर कोई पा जाये तो रातों-रात अमीर हो जाये. इसलिए तैयार हो जाइये रातों-रात मालामाल होने के लिए, क्योंकि ये हैं भारत के वो सबसे बड़े 8 बेशकीमती खज़ाने, जो आज भी अपने खोजे जाने का इंतज़ार कर रहे हैं.
1. नादिर शाह का खज़ाना
फारसी आक्रमणकारी नादिर शाह ने 1739 में अपनी 50,000 सेनाओं के साथ भारत पर हमला कर दिल्ली को अपने कब्ज़े में कर लिया था. इस हमले में न केवल निर्दोष लोग मारे गये थे, बल्कि नादिर शाह पूरी दिल्ली भी लूटकर ले गया. इस नरसंहार में लगभग 20 से 30 हज़ार निर्दोष लोग मौत के घाट उतार दिये गये थे. कहा जाता है कि ये इतनी बड़ी लूट थी कि खज़ाने को ले जा रहा क़ाफ़िला 150 मील लम्बा था. लूटे गये खजाने में मयूर तख्त और कोहिनूर हीरे के साथ लाखों की संख्या में सोने के सिक्के और बड़ी मात्रा में जवाहरात थे. इतिहास में दर्ज़ रिकॉर्ड के मुताबिक, माना जाता है कि नादिर शाह की हत्या अहमद शाह ने की थी. कुछ समय बाद, अहमद शाह की भी मौत एक गंभीर बीमारी से हो गई. कुछ कहानियों का मानना है कि अपनी मौत से पहले अहमद शाह ने नादिर शाह के लूटे गये खज़ाने को हिंदुकुश पर्वत की सुरंग में कहीं छुपा दिया था. इस बेशकीमती खजाने को अभी भी खोजा जाना बाकी है. गौरतलब है कि कोहिनूर हीरा इस वक़्त ब्रिटेन में और मयूर तख्त ईरान में है.
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