नई दिल्ली, 7 जनवरी: नोटबंदी के बाद कुछ राजनीतिक पार्टियाँ कह रहीं थी कि देश तबाह हो गया है, विकास दर गिर जाएगी, रोजगार घट जाएगा आदि, लेकिन मोदी सरकार ने सभी की दावों को गलत बताते हुए इस वर्ष देश की विकास दर 7.1 फ़ीसदी रहने का अनुमान जताया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार वित्त वर्ष 2016-17 में 7.1 फीसदी रहेगी। सरकार ने शुक्रवार को यह अग्रिम अनुमान जारी किया, जो समीक्षाधीन वित्त वर्ष की पहली छमाही के वास्तविक विस्तार 7.1 फीसदी के आधार पर लगाया गया है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी 2016-17 के लिए राष्ट्रीय आय अनुमान में बताया गया कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर वित्त वर्ष 2016-17 में 7.1 फीसदी रहेगी, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह 7.8 फीसदी थी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि वास्तविक जीवीए (सकल मूल्य वर्धित, जिसमें सब्सिडी और कर शामिल नहीं है) की दर 2016-17 में 7 फीसदी रहेगी, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह 7.2 फीसदी थी।
अग्रिम अनुमान के लिए इस्तेमाल मापदंडों में नोटबंदी के प्रभाव को शामिल नहीं किया गया है।
यह बात सही है कि विकास दर में आधी फ़ीसदी की गिरावट आयी है लेकिन यह गिरावट कुछ समय तक ही रहेगी, जैसे जैसे दो नम्बर का काम करने वाले एक नम्बर का काम करना शुरू कर देंगे, सरकार को टैक्स देना शुरू कर देंगे, सरकार विकास कार्यों में बढ़ोतरी शुरू कर देगी, देश की GDP दिन दूनी रात चौगुनी रफ़्तार से बढ़ने लगेगी। अभी कालेधन वालों ने सरकार के डर से अपना धंधा पानी बंद कर दिया था जिसकी वजह से थोडा मंदी आनी स्वाभाविक है।
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