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अगर ये काम किया तो, यूपी में बनेगी भाजपा की सरकार! हुई भविष्यवाणी...


नोटबंदी के बाद जल्द ही देश के पांच बड़े राज्यों में चुनाव होने वाले हैं| ऐसे में हाल ही में एक सर्वे हुआ था जिसके अनुसार मात्र दो जगह ही बीजेपी की स्थिति मजबूत दिख रही है| उतराखंड और गोवा के अंदर बीजेपी अच्छी स्थिति में नजर आ रही है| बीजेपी वैसे इस बार यूपी के चुनावों को हर हालत में जीतना चाहती है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि पार्टी यूपी को लेकर अब चिंतित मुद्रा में दिख रही है|




चुनाव की गर्मागर्मी के बीच ही एक बात जो और यहाँ पर गौर करने वाली है वो यह कि यूपी में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे से करीब आ रहे हैं अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर से गर्माने लगा है| पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लखनऊ दशहरे में अपने संबोधन की शुरुआत जय श्रीराम के नारे से करते हैं| उसके बाद सुब्रमण्यम स्वामी राम मंदिर को बीजेपी का चुनावी मुद्दा बनाने का ऐलान करते हैं|

इन सब बातों के बीच इस बार विधानसभा चुनावों में यदि बीजेपी उत्तर प्रदेश में हारती है तो यह हार बीजेपी से ज्यादा मोदी की हार मानी जाएगी, और कहीं न कहीं इस वक़्त यूपी की इस चुनाव में जीत मोदी की इज्जत से जोड़ कर देखी जा रही है| ऐसे में उत्तर प्रदेश में जीत सुनिश्चित करने के लिए बीजेपी को कुछ ऐसे काम भी करने पड़ेंगे जिनके बारे में शायद अभी तक बीजेपी की नज़र नहीं पड़ी है| तो आइये आज हम आपको बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में मोदी को जीत के लिए क्या करना होगा|

उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जो अपने मंत्री का चेहरा देखकर उसको वोट देता है| यहाँ ताकत और नाम दो बड़ी चीज होती हैं| आज सपा के पास मुख्यमंत्री बनने के लिए दो चेहरे हैं, अखिलेश और मुलायम सिंह यादव जिनको यूपी की जनता दिल से चाहती है, लेकिन अब सबको पता है कि मोदी प्रधानमंत्री का पद छोड़ मुख्यमंत्री तो बनेंगे नहीं| ऐसे में बीजेपी को सूझबूझ से उत्तर प्रदेश में बीजेपी की तरफ से एक ऐसा चेहरा उतारना पड़ेगा जो मुलायम और अखिलेश को कड़ी टक्कर दे सके|  

यूपी के अंदर बीजेपी पार्टी में कई जगह कलह चल रही है| बीजेपी के उत्तर प्रदेश पार्टी अध्यक्ष को काफी लोग पसंद नहीं करते हैं| अभी हाल ही में गोरखपुर से बीजेपी के बड़े और कद्दावर नेता योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने चुनाव समिति में जगह ना देकर, कलह को बढ़ाने का काम किया है, लेकिन फिर भी माना जा रहा है कि बीजेपी का सीएम पड़ का चेहरा या तो योगी आदित्यनाथ होंगे या फिर मनोज सिन्हा लेकिन सबसे पहले आदित्यनाथ का नाम आ रहा है| इसको लेकर संत समाज और विश्व हिन्दू परिषद् के लोगों ने सहमति प्रधान की है और कहा है कि उत्तर प्रदेश में योगी ही भाजपा से सीएम पद का चेहरा होंगे|




बीजेपी का इस समय ना जाने क्यों दलित लोगों की तरफ ध्यान कम है| बेशक दलित नेताओं को प्रमोट करके पार्टी ने यूपी की दलित जनता को कुछ सन्देश देने का चाहा है लेकिन इससे जनता के ऊपर कोई असर होता नहीं दिख रहा है| दलित जैसे इस बार बीजेपी से दूरियां बनाता हुआ नजर आ रहा है और जमीनी स्तर पर पार्टी भी इस वोट बैंक के लिए जरुरी कदम उठाती नजर नहीं आ रही है,तो जाहिर सी बात है बीजेपी को यूपी में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए इन मुद्दों पर भी ध्यान देना पड़ेगा|

असल कहानी तो यह भी है कि जिस तरह के भाषण मोदी ने लोकसभा चुनावों में दिए थे अब उस तरह कि बातें मोदी नहीं कर पा रहे हैं| लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश का युवा मोदी की तरफ दिख रहा है| आज भी जब मोदी यूपी में भाषण देते हैं तो युवा उस जोश के साथ मोदी-मोदी करता दिख रहा है| ऐसे में इस मौके को गवाने से बेहतर है कि  मोदी सिर्फ और सिर्फ नोट बंदी की बातें करने से बचे और यूपी चुनाव और उनसे जुड़े मुद्दों पर गौर करें|

लोकसभा चुनावों में बीजेपी की जीत का मुख्य कारण छोटे कार्यकर्ताओं का काम करना है| इस समय पार्टी के नेता बस लाल बत्ती की गाड़ी के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं| किसी का भी ध्यान छोटे कार्यकर्ताओं पर नहीं है| जबकि यही लोग अपने क्षेत्र की जनता को पार्टी के मुद्दों के बारें में बताते हैं|

उत्तर प्रदेश की जनता शुरू से धार्मिक रही है यहाँ के लोगों का एक सपना राम मंदिर भी है| सभी लोगों को लगता है कि बीजेपी अगर राम मंदिर बनाये तो उसको वोट देने का फायदा भी हो| ऐसे में समय-समय पर पीएम मोदी का राम मंदिर निर्माण की तरफ इशारे करना भी उनकी जीत का एक बड़ा कारण बन सकता है|

इन लड़कियो का विडियो देख हर कोई दंग रह जायेगा
विडियो एकांत मे देखै। 






एक दूसरी स्थिति बीजेपी के हक में जा सकती है| ये है कांग्रेस की मौजूदगी| कांग्रेस यूपी में बेहद कमजोर है| इसका कुल वोट शेयर 8 से 12 फीसद के बीच ही है| लेकिन अगर ये अलग से चुनाव लड़ती है तो समाजवादी पार्टी या बीएसपी का पूरी तरह से सफाया भी बीजेपी की हार को नहीं रोक सकेगा|साफ है कि बीजेपी को तभी हराया जा सकता है जब इसकी विरोधी सभी पार्टियां आपस में हाथ मिला लें, या फिर बीएसपी चुनाव मैदान से हट जाए|
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