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भारतीय बजट का इतिहास व रोचक तथ्य, जानिए क्या हैं हलवा खाने की रस्म......

history of indian budget : बजट शब्द का निर्माण फ्रेंच भाषा के बॉजेट शब्द से हुआ हैं। फ्रेंच भाषा के बॉजेट शब्द का शाब्दिक अर्थ चमड़े का बटुआ होता हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में सर्वप्रथम बजट का उल्लेख किया हैं । जिसमें केन्द्र सरकार को निर्देंश दिया गया हैं कि वे संसद के समक्ष वार्षिक आय और व्यय का ब्यौरा पेश करें। इस ब्यौरे को ही बजट कहा जाता हैं। इस बार संसद में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किए जाने वाला बजट बहुत ही खास हैं। क्योंकि इस बार का बजट अंग्रेजी शासन के गुलामी का प्रतीक रहे सभी परंपराओं के उलट है। इस बार का बजट फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में पेश किया जा रहा हैं। अग्रेंजी शासन से लेकर अब तक यह फरवरी माह के अंत में पेश किया जाता था। इसी तरह 93 साल बाद भारत का रेल बजट और आम बजट एक होगा तो आइए जानते भारतीय बजट का रोचक इतिहास…
भारतीय बजट का इतिहास 150 सालों से भी ज्यादा पुराना हैं। भारत का पहला बजट 18 फरवरी 1860 ई. में वायसराय परिषद के सदस्य जेम्स विल्सन ने पेश किया था। इसी वजह से जेम्स विल्सन को भारतीय बजट का संस्थापक भी कहा जाता है। भारतीय बजट में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक वित्तीय वर्ष की शुरूआत 1867 ई. में हुई। इससे पहले भारत में वित्तीय वर्ष 1 मई से 30 अप्रैल तक होता था।
15 अगस्त 1947 को आजादी के बाद भारत का पहला बजट तत्कालिन वित्त मंत्री आर.के. षणमुखम शेट्टी ने पेश किया। आजाद भारत का बजट पेश करने वाले दूसरे वित्त मंत्री जॉन मथाई थे जिन्होंनें 1949-50 में देश को पंचवर्षीय योजना और योजना आयोग से अवगत करवाया।
1973-74 के बजट को भारत के ब्लैक बजट के रूप में भी जाना जाता हैं। इस बजट में कुल घाटा 550 करोड़ रूपए था। अब तक देश का बजट पेश करने वाली एकमात्र महिला स्व. इंदिरा गांधी हैं। सर्वाधिक बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम हैं, जिन्होंने 10 बार बजट पेश किया। इसके बाद 9 बार पी. चिदम्बरम बजट पेश कर चुके हैं।
1987 में राजीव गांधी ने देश को कॉपरेट टैक्स से रूबरू करवाया था। 1994 में मनमोहन सिंह ने देश के नागरिकों पर सर्विस टैक्स लागू करवाया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी ही अब तक के सभी प्रधानमंत्रियो में से ऐसे है जिन्होंने बजट संसद में बजट पेश किया है।
वर्ष 2000 तक भारत का बजट शाम को 5 बजे पेश होता था। बजट को शाम 5 बजे पेश करने की मुख्य बजह ये थी कि जब भारत में शाम को 5 बजते थे तब लंदन में सुबह के 11:30 बज रहे होते थे। लंदन के हाऊस ऑफ कॉमन्स और हाऊस ऑफ लॉर्डस के सदस्यों के अनुमोदन के बाद ही भारत में बजट पेश होता था। साल 2001 में तत्कालिन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सबसे पहले गुलामी की प्रतीक रहीं इस परंपरा को खत्म करते हुए सुबह 11 बजे बजट पेश किया।
आर्थिक समीक्षा के अनुसार प्राप्त जानकारी द्वारा देश में प्रति 100 मतदाताओं में से केवल सात लोग ही करदाता हैं। और इसी वजह से भारत लोकतांत्रिक जी-20 देश समूह के 18 में से 13वें स्थान पर हैं। वहीं नार्वें में 100 मतदाताओं में से 10 ही करदाता होने के कारण पहले स्थान पर हैं। इसके बाद क्रमश: स्वीडन, कनाडा, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया का स्थान हैं। वहीं बिक्स देशों में ब्राजील, भारत से आगे हैं तो रूस भारत से पीछे हैं।
जानिए क्या हैं हलवा खाने की रस्म ?
बजट दस्तावेजों की छपाई हलवा खाने के बाद शुरू की जाती हैं। इन दस्तावेजो के छपाई अत्यंत ही गोपनीय होती है। बजट की छपाई का काम वित्त मंत्रालय की निजी प्रेस करती है। लेकिन इससे पहले यह हलवा खाने की बड़ी रोचक रस्म निभाई जाती है। इस हलवे को बनाने की शुरूआत खुद वित्त मंत्री करते हैं। ये हलवा मूंग की दाल का बना होता हैं। जिसे बजट तैयार कर रहे हैं अधिकारियों  और कर्मचारियों को स्वंय वित्त मंत्री स्वयं खुद के हाथ से परोसते हैं।
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