नई दिल्ली। अदालत को बताया गया कि महिला उसे यह भी धमकी देती थी कि यदि उसकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वह उसकी भावनाओं को नजरअंदाज करते हुए दूसरे पुरूष के पास चली जाएगी.

याचिका में कहा गया कि दिसंबर 2012 में पति को पेट में दर्द की शिकायत होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उस दौरान वह अपनी बहन के घर चली गई.
वहां से वह दो सप्ताह बाद लौटी. डॉक्टरों ने पति को कुछ समय के लिए शा*रीरिक सं*बंधों से दूर रहने के लिए कहा था लेकिन महिला अपनी यौ*न इच्छाएं जताती रही. और पति की सेहत आराम के अभाव में गिरती चली गई.
याचिका में उसने यह भी कहा कि उसने अपनी पत्नी से किसी मनोचिकित्सक से सलाह लेने के लिए भी कहा लेकिन उसने इंकार कर दिया और उसे इस बात को उजागर न करने की धमकी भी दी. याचिका में उसने कहा कि वह इन अत्याचारों को और नहीं सह सकता.
इससे उसके जीवन को खतरा है. उसने कहा कि उसकी पत्नी ने अपने ‘क्रूर बर्ताव’ के जरिए उसका जीवन भयावह बना दिया है. ‘यौनाचार के प्रति उसकी अत्यधिक भूख’ ने उसके साथ एक छत की नीचे रहना मुश्किल कर दिया है. न्यायाधीश राव ने याचिका को स्वीकार करते हुए इस व्यक्ति का तलाक स्वीकार कर लिया
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