देश में भाजपा की सरकार के बाद मुस्लिम समाज में खासकर उनकी महिला समाज में बहुत बड़ा परिवर्तन देखा जा रहा है. आजकल ये बहुत देखने को मिल रहा है कि मुस्लिम महिलायें इस्लाम छोड़कर हिन्दू धर्म अपना रही है.
आखिर ऐसा क्या है इस्लाम में जो उन्हें धर्म परिवर्तन अपनाने के लिए मजबूर कर रहा है. हाल ही में गाजियाबाद की शबनम नाम की मुस्लिम महिला हिन्दू धर्म अपनाकर दामिनी बन गई. दामिनी के बाद अब और भी पीड़ित मुस्लिम महिलाओं का हौसला बढ़ा है और वे हिन्दू धर्म कि ओर बढ़ रही है. आपको याद हो तीन तलाक और हलाला जैसे कट्टर नियम से दुखी होकर शबनम हिंदू धर्म अपना कर दामिनी बन गई.
25 वर्षीय दामिनी ने इस्लाम में धर्म के नाम पर महिलाओं के साथ किये जा रहे अत्यचार पर खुलकर बात करते हुए कहा कि इस्लाम धर्म के नाम पर लगभग सभी मुस्लिम महिलाएं किसी न किसी प्रकार से यातनाएं झेल रही हैं. कम उम्र में उनका निकाह कर दिया जाता है, फिर उन पर जल्दी जल्दी बच्चे पैदा करने का दबाव दिया जाता है.
बच्चा न पैदा होने पर उन्हें तमाम शारीरिक यातनाएं दी जाती हैं और छोटी छोटी बातों पर तलाक दे दिया जाता है. तलाक देने के बाद महिलाओं की स्थिति और भी बदतर हो जाती है. दामिनी का कहना है कि तलाक के बाद शौहर से दोबारा निकाह करने के लिए मुस्लिम समाज द्वारा चलाई गई प्रथा हलाला से गुजरना होता है. उसने बताया कि तलाक के बाद उसके शौहर ने फिर से साथ रहने के लिए उसका हलाला भी कराया और दोस्त के हवाले कर दिया. तीन महीने बाद जब वह पति के पास पहुंची तो उसे स्वीकार करने के बजाय पति ने वेश्यावृत्ति में धकेल दिया.
दामिनी के हौंसले के बाद तीन अन्य पीड़ित मुस्लिम महिलाएं भी तीन तलाक और हलाला के विरोध में सामने आई हैं. इनमें से दो महिलाओं को तो उनके पति ने बहुत ही मामूली सी बात पर तलाक दे दिया. उन्होंने तीन तलाक के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद करते हुए चेतावनी भी दे डाली कि अगर उनके साथ न्याय नहीं हुआ तो वो भी हिन्दू धर्म अपना लेगी.यूपी मुरादनगर की रहने वाली इन तीन मुस्लिम महिलाओं ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि बहुत ही मामूली बात पर उनके पतियों ने उन्हें तलाक दे दिया और उनके बच्चे भी अपने पास रख लिए.
उनका कहना है कि तीन तलाक की यह कुप्रथा मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी बर्बाद कर देती है. मुस्लिम समाज की यह कुप्रथा महिलाओं की जिंदगी नर्क बना रही है. तलाक होने के बाद अब अपने घर रह रही हैं, मगर वहां पर सम्मान नहीं मिल रहा.
पीड़ित महिलाओं ने कहा कि वे इसके खिलाफ शीघ्र ही अभियान चलाएगी और इसका विरोध करेगी. उनके विरोध के बाद भी यदि यह बुराई समाप्त नहीं होती है तो वह दामिनी की तरह धर्म परिवर्तन कर हिन्दू धर्म स्वीकार कर लेंगी और समाज की सभी महिलाओं को करने के लिए प्रेरित करेंगी.
इस्लामीकरण के लिए मुस्लिम समुदाय महिलाओं के साथ घोर अत्याचार कर रहा है. वे ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए एक से ज्यादा शादी करते है. वे तीन तलाक का सहारा लेकर अपनी बीवियों को छोड़ देते है और दूसरी शादी कर देते है. ये सब करने क पीछे उनका मकसद इस्लामीकरण को बढ़ाना है. इनके लिए मुस्लिम महिलाएं मात्र बच्चे पैदा करने कि मशीने बन कर रह गई है.
आपको बता दे कि काफी लंबे समय से तीन तलाक मामले पर बहस चल रही है। जहां एक तरफ केन्द्र सरकार इसे महिलाओं के अधिकारों का हनन बता रही है, वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला चल रहा है. महिलाओं के हक के लिए कई मुस्लिम महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में एकतरफा तीन तलाक व बहुविवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई है.
अब तो मुस्लिम महिलाओं ने मोलनाओ और मौलवियों के कुतर्कों को दरकिनार करते हुए मोदी जी पर भरोसा जताया है और मांग की है की वह जल्द से जल्द उन्हें न्याय दिलाने के लिए सार्थक कदम उठायें.
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