
अगर एक सर्वे कराया जाये की दुनिया में सबसे अधिक मूक, निष्क्रिय और साफ़ शब्दों में कहें तो बेशर्म लोग कहाँ पाए जाते है, तो हम दावे के साथ कह सकते है की
सर्वे का रिजल्ट आएगा "भारत"
और हम भारतीय होकर भी ये बात मानते है की, भारत में ही सबसे अधिक बेशर्म लोग पाए जाते है
कुछ ही तरह के लोग है
पहले तो जिहादी तत्व, दूसरे सेक्युलर तत्व, तीसरे वामपंथी तत्व और चौथे राष्ट्रवादी तत्व
अब इनमे वामपंथी और जिहादी तत्व तो भारत के घोर दुश्मन है, भारत की संस्कृति के समूल नाश में लगे है,
राष्ट्रवादी तत्व इन जिहादी वामपंथियों से भारत को बचाने में पूरी तरह सक्षम
है पर सेक्युलर तत्व इसमें रोड़ा बने हुए है, और वांमपंथी जिहादियों को सेक्युलर तत्व ही संरक्षण देते है, और सेक्युलर तत्व ही राष्ट्रवादियों का विरोध करते है
कुल मिलाकर भारत के सबसे बड़े शत्रु न वामपंथी है न जिहादी
बल्कि सबसे बड़े शत्रु है सेक्युलर तत्व, अगर सेक्युलर तत्व न हो तो फिर राष्ट्रवादी तत्व देखते ही देखते वामपंथी जिहादियों को साफ़ कर दें
भारत के इन सेक्युलर तत्वों को कोई भी शर्म नहीं है, और राष्ट्रवादी तत्व भी अधिक एक्टिव नजर नहीं आते
कमी हर तरफ है तभी तो ये ऊपर तस्वीर वाला कलंक आजतक भारत की छाती में गड़ा हुआ है
"बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन, और बख्तियारपुर इलाका"
यहाँ बड़ा सवाल ये है की ये आखिर बख्तियारपुर में बख्तियार कौन है, या कौन था?
बख्तियारपुर का बख्तियार था बख्तियार खिजली
ये एक विदेशी लुटेरा था जिसने भारत पर हमला किया था और नालंदा तक पहुँच गया था
भारत की धरोहर थी नालंदा यूनिवर्सिटी, इस यूनिवर्सिटी के कारण दुनिया के अलग अलग इलाकों में भारत की पहचान थी, ये समृद्ध था, ये भारत की शान थी
बख्तियार खिलजी ने भी इस यूनिवर्सिटी का नाम सुना और इसकी समृद्धि के चर्चे सुनकर इसे लूटने आया, लाखों लोगों का कत्लेआम किया गया, और सालों तक भारत की इस महान धरोहर को लुटा गया और पूरा जला दिया गया
और उस बख्तियार खिलजी के सम्मान में हमने बख्तियारपुर बनाया हुआ है, लुटेरे का सम्मान करते है हम, बलात्कारी हत्यारे का सम्मान
आपने अक्सर देखा होगा की भारत का कोई सैनिक शहीद होता है, उदाहरण के तौर पर `1999 में बहुत सैनिक शहीद हुए थे, तो उनके सम्मान में हम अक्सर सड़क का नाम रखते है, किसी इलाके का नाम रख देते है
उसी तरह ये बख्तियारपुर नाम रखा गया है, बख्तियार खिलजी के सम्मान में !!!
सेक्युलर तत्वों ने ये नाम रखा है, उन्हें कोई शर्म नहीं है, पर राष्ट्रवादी भी इसका विरोध नहीं करते, ये भी अपने आप में कम शर्म का विषय नहीं है
न जाने कब तक ऐसे कलंक भारत की छाती पर गड़े रहेंगे
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