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देखे विडियो-भगत सिंह का देश के नाम आखिरी सन्देश,इसको जानकर आपकी आँखे नम हो जायेगी !

 
शहीद भगत सिंह-नाम जहन में आते ही सर सम्मान से झुक जाता है,युवाओ के आदर्श शहीद भगत सिंह को हर देशभक्त के ह्रदय में विराजमान है आज 23 मार्च है आज ही के दिन शहीद भगत सिंह को फांसी दी गयी थी,फांसी के समय भगत सिंह का देश के प्रति जान देने का जज्बा देखकर अंग्रेज भी उनके सामने नतमस्तक हो गए थे आज उनकी पूण्य तिथि के अवसर पर हम आपको बताने जा रहे है उनके आखिरी खत के बारे में जिसे पढ़कर आपकी आँखे भी नम हो जायेगी

पेश है भगत का लिखा उनके साथियों के नाम आखिरी ख़त.

. साथियों, स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए, मैं इसे छिपाना नहीं चाहता। लेकिन एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूं, कि मैं कैद होकर या पाबन्द होकर जीना नहीं चाहता। मेरा नाम हिन्दुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है और क्रांतिकारी दल के आदर्शों और कुर्बानियों ने मुझे बहुत ऊंचा उठा दिया है- इतना ऊंचा कि जीवित रहने की स्थिति में इससे ऊंचा मैं हर्गिज नहीं हो सकता।

आज मेरी कमजोरियां जनता के सामने नहीं हैं। अगर मैं फांसी से बच गया तो वे जाहिर हो जाएंगी और क्रांति का प्रतीक चिन्ह मद्धिम पड़ जाएगा या संभवतः मिट ही जाए। लेकिन दिलेराना ढंग से हंसते-हंसते मेरे फांसी चढ़ने की सूरत में हिन्दुस्तानी माताएं अपने बच्चों के भगतसिंह बनने की आरजू किया करेंगी और देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को रोकना साम्राज्यवाद या तमाम शैतानी शक्तियों के बूते की बात नहीं रहेगी।

हां, एक विचार आज भी मेरे मन में आता है कि देश और मानवता के लिए जो कुछ करने की हसरतें मेरे दिल में थीं, उनका हजारवां भाग भी पूरा नहीं कर सका। अगर स्वतन्त्र, जिंदा रह सकता तब शायद उन्हें पूरा करने का अवसर मिलता और मैं अपनी हसरतें पूरी कर सकता। इसके सिवाय मेरे मन में कभी कोई लालच फाँसी से बचे रहने का नहीं आया।

मुझसे अधिक भाग्यशाली कौन होगा? आजकल मुझे स्वयं पर बहुत गर्व है। अब तो बड़ी बेताबी से अंतिम परीक्षा का इन्तजार है। कामना है कि यह और नजदीक हो जाए। आपका साथी – भगतसिंह

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