वामपंथी तत्व हिन्दुओ से कितनी घृणा करते है, ये बात किसी से छुपी हुई नहीं है
ये वही लोग है, जो "जय श्री राम" के नारों को भी सांप्रदायिक बताते है, भले इनको अल्लाह हु अकबर के नारों से कोई परहेज नहीं, खैर
अयोध्या राम मंदिर मसले पर कल सुप्रीम कोर्ट ने हाथ खड़े करने की कोशिश की और कहा की
कोर्ट के बाहर मामला निपटे तो ये बेहतर होता
जिसके बाद मीडिया में भी राम मंदिर का मुद्दा चलने लगा और खूब बहसबाजी शुरू हो गयी
मीडिया का एक बड़ा वर्ग राम मंदिर के खिलाफ खड़ा हो गया, और हिन्दुओ की भावनाओं को कुचलते हुए इन लोगों ने राम मंदिर का ही विरोध करना शुरू कर दिया
राजदीप सरदेसाई जो एक कुख्यात प्रेस्स्या है, उसने कहा की राम मंदिर से अच्छा वहां पर कोई अस्पताल बना दी, लोगों के कुछ तो काम आएगा
इस वामपंथी के अनुसार मंदिर किसी काम का नहीं होता
आपको बता दें की वामपंथियों की पहली मानसिकता यही होती है की, ये लोग हिन्दुओ से खासी घृणा का भाव रखते है, मंदिर एक ऐसा स्थान है, जो समाज के लोगों को आपस में जोड़ता है, मंदिर लोग जाते है एक दूसरे से मिलते है, मंदिर में आम तौर पर लोगों का मन शांत रहता है, तो एक दूसरे से शांत वातावरण में मिलते है
बातें करते है, इस तरह समाज में एकता भी आती है
दूसरा ये की, मंदिरों में जो दान चढ़ता है, उस से सामाजिक कल्याण के कई काम होते है
उदाहरण के तौर पर वाराणसी का ही विश्वनाथ मंदिर, जिसके चढ़ावे से बनारस में ही कई स्कुल, वृद्ध आश्रम, अनाथ आश्रम चलते है, और भी ऐसे बहुत से काम होते है
मंदिरों के दान से कई अस्पताल भी चलते है, मंदिरों का समाज में काफी योगदान है
पर ये बातें वामपंथियों को समझ में नहीं आती क्योंकि उन्होंने हिन्दुओ से घृणा का चश्मा लगाया हुआ है
अगर आप आस्था को छोड़ भी दें तो मंदिर इतने का का है जितने काम के मीडिया चैनल नहीं है
मंदिर से समाज में एकता आती है, और सामाजिक कल्याण के काम होते है
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