देश भर में रंगो के त्योहार होली की तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं मगर कान्हा की नगरी होली की खुमारी में डूब चुकी है। श्रीकृष्ण की जन्मस्थली ब्रज की सभी होलियों के दर्शन होते हैं। इस बार यह होली आठ मार्च को खेली जाएगी। मथुरा नगरी को तीन लोक से न्यारी कहा जाता है तथा वास्तव में यह ब्रज का हृदय है। इसे न्यारी इसलिए कहा जाता है कि यहां की परंपराएं निराली हैं। यहां होली जैसा प्रेम का त्योहार भी लाठियों से खेला जाता है तो जेठ यानी बड़े भाई होने के बावजूद बल्देव जी राधा के सामने होली खेलने का प्रस्ताव रख देते हैं। यहां लठमार होली भी कई प्रकार की होती है, जहां बरसाने में लाठियों के प्रहार को चमड़े की बनी ढ़ालों से रोका जाता है वहीं जाव में लाठियों की बौछार को लकड़ी के बने गद्र्या से रोका जाता है।
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